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Updated on: 28 July, 2023 5:04 PM IST
Cultivation of chickpea

काबुली चने की खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. भारत में इसका उपयोग कई प्रकार की  उच्चतम रेसिपी बनाने के लिए किया जाता है. इस चने को छोला चना के नाम से भी जाना जाता है. काबुली चने का रंग हल्का सफेद और हल्का गुलाबी होता है और यह आकार में सामान्य चने से काफी बड़ा होता है. इसका इस्तेमाल सब्जी के साथ-साथ छोले और भूनकर खाने में ज्यादा किया जाता है. इसके सेवन से हमारे शरीर मे पथरी, मोटापा और पेट से संबंधित बिमारियों से छुटकारा मिलता है. आज हम आपको इसकी खेती के जुड़े तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं.

खेती का तरीका

बुवाई

इसकी बुवाई अक्टूबर के महीने में की जाती है. बुआई के लिए खेत की मिट्टी की गहरी जुताई कर लें और बुआई के लिए सीड ड्रिल मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह ध्यान रखें कि बुवाई के दौरान खेत की मिट्टी में उचित नमी बनी रहे.

खाद एवं उर्वरक

खेत में काबुली चने के अच्छे उत्पादन के लि ए खेतो में सुक्ष्म तत्वों की कमी होने पर जिंक सल्फेटबोरान और आयरन से भरपूर अमोनिया युक्ता खाद का छिड़काव करना चाहिए.

सिंचाई

सिंचाई का काबुली चने की अच्छी पैदावारी में एक अहम योगदान होता है. काबुली चने की बुवाई के समय मिट्टी में नमीं बनाए रखना बेहत जरुरी होता है. इसकी बिजाई के बाद खेत में लगभग 25 से 30 दिनों के बाद सिंचाई करना पड़ता है. आप इसकी सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

रोग

काबुली चने में धूसर फफूंद, चनी फली, दीमक और कटुवा जैसे रोग ज्यादा लगते हैं. इन रोगों से निवारण के लिए समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करना जरुरी होता है. इनके रोकथाम के लिए ट्राईकोडर्मा और सूडोमोनास जैसे कीटनाशक का उपयोग कर बीज का उपचार करना चाहिए.

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पैदावार

काबुली चने की एक एकड़ के खेत में 15 से 20 क्विंटल की उपज होती है. वर्तमान में बाजार में इसकी कीमत 6 हजार रुपये प्रति कुंतल है. इसका बेहतर उत्पादन कर किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते हैं.

English Summary: Cultivation of chickpea and know what are its benefits
Published on: 28 July 2023, 05:08 PM IST

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