देश के कई क्षेत्रों में मानसून की झमाझम बारिश हो गई है, जिससे बहुत सारे क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं. एक तरफ यह बारिश पानी वाली फसलों की खेती कर रहे किसानों के चेहरों पर खुशी ला देती है, तो वहीं सब्जी की खेती कर रहे किसानों की चिंता को बढ़ा देती है. मगर किसान मानसून की बारिश के पानी का उपयोग करके जलीय सब्जियों की खेती कर सकते हैं. इसके लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने कई नई किस्मों को विकसित भी किया है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक...
देश भारत में लगभग 80 से लेकर 100 प्रकार की जलीय सब्जियां उगाई जाती हैं. इसमें कलमी साग, सिंघाड़ा, कमल और मखाना को प्रमुख माना जाता है. इन जलीय सब्जियों को कई औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है, इसलिए इनकी खेती प्राचीन समय से की जा रही है, लेकिन अब भी कई किसान जलीय सब्जियों की खेती संबंधी उचित जानकारी नहीं रखते हैं. इस कारण बड़े पैमाने पर खेती भी नहीं हो पाती है. मगर फिर भी जलीय सब्जियों को काफी महत्व दिया जाता है, इसलिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने इनकी कई नई किस्मों को विकसित किया है, आइए आपको कुछ जलीय सब्जियों की खेती से जुड़ी खास जानकारी देते हैं.
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कलमी साग
जलीय सब्जियों में कलमी साग को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम आइपोमिया एक्वेटिका है, लेकिन लोगो इसको वाटर स्पीनाच या करेमू साग के नाम से भी जानते हैं. इसकी खेती दक्षिण एशिया में प्रमुख रूप से होती है, तो वहीं हमारे देश में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और कर्नाटक में भरपूर मात्रा में की जाती है. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की मानें, तो साल 2019 में कलमी साग के 13 जननद्रव्यों को संग्रह किया है, जो कि देश के कई हिस्सों से एकत्र किए गए हैं. कलमी साग की वीआरडब्ल्यू एस-1 किस्म का तना बैंगनी रंग का होता है, तो वहीं पत्तियां हरी होती हैं. इसकी बुवाई बीज और वानस्पतिक, दोनों विधियों से की जा सकती है. 'इसकी बुवाई जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर तक की जा सकती है. बता दें कि इसकी बावई के 5 से 6 दिन में पौधे तैयार हो जाती है.
कलम की सब्जी
जलीय सब्जियों में कलम की सब्जी को भी बड़ें पैमाने पर उगाया जाता है. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक की मानें, तो चीन और जापान में जलीय सब्जियों में कमल की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसकी मुलायम पत्तियों, डण्ठल, कंद, फूल और बीज का उपयोग करके सब्जी, आचार, सूप और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जा जाते हैं. बता दें कि कमल के कंद को ककड़ी भी कहते हैं. माना जाता है कि इसमें जितना प्रोटीन पाया जाता है, उतना ही विटामिन और 8 प्रकार के खनिज तत्त पाए जाते हैं. इतना ही नहीं, इसको इाइपर लीपीडिमिया रोग की प्रमुख औषधी माना जाता है. इसकी पत्तियां कोलेस्ट्रोल के स्तर को भी कम करती हैं.
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सिंघाड़ा
सिंघाड़े की भी जलीय सब्जियों में प्रमुख माना जाता है. इसकी दो प्रकार की किस्में ज्यादा प्रचलित हैं. पहली हरे छिल्के वाली और दूसरी लाल छिल्के वाली किस्म. अगर व्यवसायिक स्तर की बात करें, तो हरे छिल्के वाली किस्म उपयुक्त मानी जाती है. बता दें कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्था ने लाल छिल्के की वीआरडब्ल्यू सी-1 विकसित की है, तो वहीं हरे छिल्के की वीआरडब्ल्यूसी-3 वेराइटी को विकसित किया है. इसकी खेती किसानों को बहुत फायदा पहुंचाती है.
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