काली मिर्च एक ऐसी मसाला फसल है, जो हर सब्जी के स्वाद को लाजवाब बना देती है. ग्रेवी वाली सब्जियों और नॉन वेज में इसका खूब इस्तेमाल होता है. काली मिर्च व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ हमारी सेहत को भी दुरुस्त रखती है.
खेती का तरीका
बीज
किस भी फसल को लगाने के लिए आपको सही बीज का चयन करना होता है. अगर बीजों का चयन सही न हो तो आपकी पूरी मेहनत बेकार जा सकती है. काली मिर्च के बीज खरीदने के लिए आप किसी बीज भंडारण वाली दुकान में संपर्क कर सकते हैं. यहां आप काली मिर्च का बीज या पौधे दोनों को खरीत सकते हैं. आप बीजों की खरीददारी ऑनलाइन भी कर सकते हैं.
मिट्टी
काली मिर्च की खेती के लिए लाल और लेटेराइट मिट्टी उत्तम मानी जाती है. काली मिर्च के बीज को लगाने से पहले आप मिट्टी में खाद डालकर इसे अच्छे से मिक्स कर दें. गमले में मिट्टी डालने के बाद बीज को लगभग 1 से 2 इंच गहरा मिट्टी में दबाकर ऊपर से मिट्टी डालकर फिर उस पर पानी डालकर छोड़ दें.
1 से 2 सप्ताह के भीतर मिट्टी से पौधे आना शुरु हो जाएंगे.
खाद व सिंचाई
पौधे के अच्छे विकास के लिए इनमें नियमित रूप से पानी डालना भी बहुत ज़रूरी होता है. इन पौधों की नियमित देखभाल की जरुरत नहीं होती है. महीने में एक दो बार पानी इसके विकास के लिए पर्याप्त होता है. इनकों कीड़ों से बचाने के लिए समय-समय पर पौधों पर कीटनाशक का छिड़काव करते रहना चाहिए. होममेड कीटनाशक जैसे कि बेकिंग सोडा, नीम के पत्ते, सिरका और नींबू के रस से भी कीटों को खत्म किया जा सकता है.
कटाई
काली मिर्च के पौधे आठ से दस महीने के बाद ही फल देना शुरु कर देते हैं. यह फल15 से 20 दिनों में पकना शुरु कर देते हैं. फल पक जाए तो इसे तोड़कर कुछ दिनों के लिए धूप में रख दें. धूप में रखने के बाद इसके छिलके हटाकर सब्जी बनाने या किसी भी स्वास्थ्य लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
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उपयोग
आयुर्वेद में काली मिर्च का इस्तेमाल औषधी के तौर पर किया जाता है. इसके दानों में 5 से 9 प्रतिशत तक पिपेरीन, पिपेरिडीन और ऐल्केलायडों नामक गुणकारी तत्व पाए जाते हैं. इसमें सुगंधित, उत्तेजक और स्फूर्तिदायक गुण होते हैं. इसके इस्तेमाल से कफ, वात, श्वास और अग्निमांद्य आदि जैसे रोगों के उपचार की दवाइयां बनाई जाती हैं. भारतीय भोजन में मसाले के रूप में इसका उपयोग सदियों से होता आ रहा हैं. पश्चिमी देशों में इसका उपयोग तमाम प्रकार के मांसों और खाद्य पदार्थो के साथ-साथ नए प्रकार के व्यंजन के परिरक्षण के लिए भी किया जाता है.