अकरकरा की खेती औषधीय पौधे के रूप में की जाती है. इसकी जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने के लिए किया जाता है. भारतीय संस्कृति में पिछले 400 वर्षों से इसका उपयोग किया जा रहा है. अकरकरा लकवा, अल्सर, मिर्गी, चेहरे के पक्षाघात, बुखार, मानसिक विकास, शरीर की शून्यता और आलस्य जैसी असंख्य बीमारियों के इलाज में कारगर है.
खेती का तरीका
मिट्टी
अकरकरा की खेती के लिए काली, लाल और दोमट मिट्टी उचित होती है. अकरकरा की खेती जलभराव और भारी मिट्टी वाले खेतों में नहीं की जा सकती है. इसकी खेती के लिए भूमि का पी.एच. 6 से 8 के बीच सार्थक माना जाता है.
तापमान
अकरकरा के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. भारत में यह रबी की फसल के अंतर्गत आता है. अकरकरा के पौधे छांव में नहीं उग पाते हैं, इनको अच्छी धूप की आवश्यकता होती है. इसके विकास के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उचित होता है.
सिंचाई
अकरकरा के पौधो के अच्छे अंकुरण के लिए खेतों में लगाने के बाद इनकी सिंचाई करना बहुत जरुरी होता है. आपको बता दें कि अकरकरा की खेती सर्दियों के मौसम में ही की जाती है क्योकि इससे पौधों को अंकुरित होने के लिए कम सिंचाई की जरूरत होती है. अकरकरा की एक बुआई में 5 से 6 बार सिंचाई की जरूरत होती है.
खरपतवार नियंत्रण
अकरकरा की फसल में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए खेतों की अच्छी से नीराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए. जहां तक हो सके तो रासायनिक तत्वोंका छिड़काव कम करें. अकरकरा के पौधों की पहली गुड़ाई रोपाई के लगभग 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए. इसके पौधों को तीन से चार गुड़ाई की जरुरत होती है.
पैदावार
अकरकरा की एक एकड़ फसल से लगभग तीन से चार क्विंटल तक बीज और 10 से 12 क्विंटल जड़ें प्राप्त होती हैं. बाजार में इसकी जड़ों की कीमत 10 से 20 हज़ार रूपये प्रति क्विंटल है और बीजों का भाव 8 से 10 हज़ार रूपये प्रति क्विंटल है. आप किसान भाई भी अकरकरा की खेती कर लाख रुपयें तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं.
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अकरकरा के फायदे
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इसकी जड़ें सिर दर्द के लिए एक अच्छी जड़ीबूटी मानी जाती हैं. अकरकरा की जड़ को पीस कर इसे हल्का सा गर्म कर लें और अपने मष्तक पर लेप लगाएं इससे सिर दर्द कम होता है.
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अकरकरा के फूल को चबाने से सर्दी और खांसी में राहत मिलती है और यह पाचन की समस्या से भी शरीर को निजात दिलाता है.
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यदि आपके मुहं से बदबू आती है तो यह उसके लिए भी कारगर होता है.