रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की नवीनतम किस्म ‘कुदरत-9’ का बीज अच्छी उपज लेने हेतु एक बेहतर विकल्प है. गेहूं की इस की खास बात यह है कि इस किस्म की पौध की लंबाई 85 सेमी होती है. वही यह 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। गेहूं की अन्य क़िस्मों की तुलना में इसका पौधा छोटा होता है. जिसके कारण तेज हवाओं में भी यह गिरेगा नहीं.
बता दे कि गेहूं के इस किस्म को विकसित वाराणसी जिले के कुदरत कृषि शोध संस्थान के प्रकाश रघुवंशी ने की है. तो वही, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में इसका ट्रायल भी हुआ था. सकारात्मक परिणाम होने के कारण इसे भारत सरकार की ओर से रजिस्टर्ड भी कर दिया गया है. इसे भारत सरकार ने रघुवंशी नाम दिया है.
गेहूं का यह किस्म बौनी किस्म का है. इस किस्म की लम्बाई लगभग 90 सेंटीमीटर और इसकी बाल की लम्बाई लगभग 20 सेंटीमीटर है. गेहूं का यह किस्म 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 25-30 कुंतल प्रति एकड़ निकलती है. इस किस्म का दाना मोटा और चमकदार होता है. इसकी पैदावार और गुणवत्ता को देखते हुए कई राज्यों में इसकी मांग बढ़ी है.
गेहूं की यह किस्म ओलावृष्टि जैसी समस्याओं को आसानी से झेल सकती है. किसान इसकी बुवाई 25 अक्टूबर से 25 दिसंबर तक कर सकते हैं. बीज बुआई में 40 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज लगेगा. यह 2-3 पानी में पक जाएगी. अभी तक प्रकाश सिंह कृषि फसलों की 300 से अधिक किस्में ईजाद कर चुके हैं.
भूमि का चुनाव
इसकी बुवाई सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से किया जा सकता है लेकिन दोमट मिट्टी में इसकी खेती बेहतर की जा सकती है. जल निकास की सुविधा होने पर मटियार दोमट तथा काली मिट्टी में भी इसकी अच्छी उपज ली जा सकती है. इसकी खेती हेतु खेती की मिट्टी का पीएच मान 5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए.
खेत की तैयारी कैसे करें
बीज के अच्छे अंकुरण के लिए भुरभुरी मिट्टी का होना बेहद जरूरी है. खरीफ की फसल काटने के बाद खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल (एमबी प्लाऊ) से करें. जिससे खरीफ फसल के अवशेष और खरपतवार मिट्टी मे दबकर सड़ जाए. इसके बाद 2-3 जुताइयां देसी हल-बखर या कल्टीवेटर से करें. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा देकर खेत समतल करें.