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Updated on: 14 May, 2020 12:40 PM IST

उत्तर प्रदेश में एक जिला है, नाम है मिर्जापुर. इस जिले में महोगनी गांव के एक किसान आजकल चर्चाओं में बने हुए हैं. दरअसल वो लोबिया की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे आस-पास के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं. वैसे एक समय ऐसा भी था, जब केशव प्रसाद कम आय के चलते बहुत परेशान रहते थे. लोबिया की खेती किस तरह उनकी आमदनी का हिस्सा बनी, चलिए जानते हैं.

यहां से लिया प्रशिक्षण

वर्ष भर की खेती के बाद भी केशव प्रसाद को कुछ खास मुनाफा नहीं हो रहा था. फिर एक दिन उन्होंने भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी द्वारा लोबिया की खेती का प्रशिक्षण लिया. देखते ही देखते उनकी आमदनी बढ़ती ही चली गई और आज वह एक सफल किसान के रूप में परिवर्तित हो चुके हैं. केशव प्रसाद खेती के लिए लोबिया की काशी उन्नति व काशी कंचन किस्म का चयन करते हैं.

30 रुपए प्रतिकिलो प्राप्त किए दाम

केशव प्रसाद हरी लोबिया की बिक्री जुलाई के पहले सप्ताह में करते हैं, जिससे उन्हें औसत 30 रुपए प्रतिकिलो के दाम प्राप्त हो जाते हैं. इस तरह से देखा जाए तो सितंबर के अंत तक वह डेढ़ लाख रुपए से अधिक की आमदनी प्राप्त कर लेते हैं और अक्टूबर के अंत तक साढ़े तीन क्विंटल से अधिक तक की बीज उन्हें प्राप्त हो जाती है.

बुवाई की दूरी

केशव प्रसाद का मानना है कि किसानों को लोबिया की खेती में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे कि लोबिया के बीज की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए. उनकी दूरी लगभग 45 से 60 सेमी तक रखनी चाहिए. इसके साथ ही बीजों की दूरी 10 सेमी के आस-पास रखनी चाहिए. लोबिया की उन्नत किस्मों के बारे में जानने के लिए कृषि जागरण के इस लिंक पर क्लिक करें.

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English Summary: cowpea farming give huge profit to this farmer know more about it
Published on: 14 May 2020, 12:43 PM IST

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