गन्ना शरदकालीन और बसंतकालीन में बोई जाने वाली फसल है. शरदकालीन गन्ने की बुवाई (Sugarcane Sowing) अक्टूबर से नवम्बर तक की जाती है. इस समय गन्ना लगाने से अधिक पैदावार मिलती है, क्योंकि यह समय गन्ने की बुवाई के लिए सर्वोत्तम माना गया है.
वहीं, बसंत कालीन गन्ने की बुवाई फरवरी से मार्च में होती है. यानि अभी किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई (Sugarcane Sowing) कर सकते हैं. जैसा कि हमने कहा कि गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है, जिसके अच्छे प्रबंधन से साल दर साल प्रति हेक्टेयर से अधिक का मुनाफा कमाया जा सकता है. गन्ने की बुवाई बहुत से राज्यों में शुरू हो चुकी है, तो वहीं शुरू होने वाली भी है.
किसानों के लिए गन्ने की फसल हमेशा से फायदे का सौदा रही है, लेकिन कई बार किसानों की छोटी-मोटी गलतियों की वजह से फसल उत्पादन प्रभावित हो जाता है. अगर किसान गन्ने की बुवाई (Sugarcane Sowing) सही विधि से करें, तो फसल के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, साथ ही लागत भी घटाई जा सकती है. आज हम इस लेख में गन्ने की बुवाई की सही विधि के बारे में जानेंगे, तकि किसानों को गन्ने का बंपर उत्पादन मिल सके.
गन्ने की बुवाई का तरीका (Method of sowing sugarcane)
किसान भाईयों को गन्ने की बुवाई (Sugarcane Sowing) सपाट व फेरों विधि से करनी चाहिए. इसके लिए सबसे पहले खेत को पलेवा देकर तैयार करना होगा.
इसके बाद 75 से 90 सेमी. के फासले पर गहरे कुंड निकालने होंगे. ध्यान रहे कि गन्ने की खेती के लिए भूमि भारी व अच्छी उपजाऊ भूमि में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 90 सेमी. रखनी है. वहीं, हल्की एवं कम उपजाऊ भूमि में दूरी 75 सेमी. रखनी है.
जिन क्षेत्रों की मिट्टी चिकनी होती है, वहां जमीन भुरभुरी तैयार नहीं हो पाती है, इसलिए इन क्षेत्रों में सूखी मिट्टी में बुवाई करना चाहिए. इसके लिए 75 से 90 सेमी. की दूरी पर गहरे कुंड निकालें, फिर उनमें उर्वरक व भूमि उपचार के लिए औषधि डाल दें. इसके बाद गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा यानि तिरछा रखें और पाटा फेरकर तुरंत सिंचाई करें.
इसके अलावा खाली स्थानों पर रोपाई के लिए 3 से 4 अतिरिक्त पंक्तिया बोएं. जहां अंकुरण कम है, वहां बुवाई के 25 से 30 दिन बाद एक आँख वाले टुकड़े को निकालकर रोपाई कर दें.
कुंडो में दीमक व कीड़ों की रोकथाम (Prevention of termites and insects in ponds)
गन्ने की बुवाई के लिए बनाए गए कुंडों में दीमक व कीड़ों आदि की रोकथाम के लिए कीटनाशक डाल दें. इसके ऊपर से गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा मिलकर रख दें, फिर पाटा फेर दे, ताकि टुकड़े मिटटी में अच्छी तरह ढक जाएं.
बुवाई के बाद सिंचाई का समय (Irrigation time after sowing)
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गन्ने की बुवाई (Sugarcane Sowing) के तीसरे सप्ताह में एक सिंचाई कर दें.
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इसके बाद सावधानी से अंधी गुड़ाई करें.
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ऐसा करने से मिट्टी की पपड़ी उखड़ जएगी और अंकुरण अच्छा होगा.
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ध्यान रहे कि पहली सिंचाई हल्की और समान होनी चाहिए.
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जब खेत बाह पर आ जाए, तो अंधी गुड़ाई करें.
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इसके 15 से 20 दिन बाद फिर सिंचाई कर गुड़ाई कर दें.
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इस विधि से अंकुरण अच्छा होगा.
उपयुक्त विधि से गन्ने की बुवाई कर फसल का अच्छा उत्पादन हासिल किया जा सकता है. बस किसान भाईयों को बुवाई की सही विधि अपनानी है.