Maize Farming khad Tips: भारत में विभिन्न तरह की फसलों को उगाया जाता है, जिसकी मदद से किसानों को अधिक मुनाफा भी होता है. खरीफ फसल/Kharif crops मक्का भी इन्हीं फसलों में से एक है. मक्का की खेती आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र,कर्नाटक, राजस्थान, एमपी, छ्त्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में की जाती है. मक्का की खेती/Maize Cultivation से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसानों को मार्किट से कई तरह की खादों को खरीदना पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं मक्का की फसल से अच्छी उपज पाने के लिए कौन सी खाद का इस्तेमाल करना उचित है. अगर नहीं तो जान लें.
बता दें कि जिन खाद की हम बात करने जा रहे हैं, इनका मिश्रण सही तरीके से भी आपको करना होगा. वरना नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. आइए इस विधि और खादों के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं.
इस तरह से करें खाद का फसल में इस्तेमाल
मक्का की खेती/Makka ki kheti के लिए 21-30 डिग्री सेल्सियस तापमान सही माना जाता है. बुवाई के बाद मक्का को अच्छे मौसम की आवश्यकता होती है. अगर वहीं, मक्का को सही खाद नहीं मिलती है, तो फसल खराब हो जाती है. तब मौसम भी कुछ नहीं कर पाता ऐसे में फसल की मिट्टी की जांच करना बहुत जरूरी होता है. मिट्टी में किन गुणों की कमी है, जिसके कारण फसल उपजाऊ नहीं हो पा रही. ऐसे में बुआई से पहले खेतों में 10-15 टन प्रति हेक्टेयर की दर में सही तरीके से सड़ी हुई गोबर की खाद/Cow Dung Manure का मिश्रण कर देना चाहिए जिसकी मदद से आपके खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जायगी.
इन खादों का करें मक्का फसल में उपयोग
- नाइट्रोजन (Nitrogen): मक्का एक भारी नाइट्रोजन उपभोग करने वाली फसल है. यह पौधे की हरी पत्तियों और दानों की संख्या बढ़ाने में मदद करता है. इसका इस्तेमाल 120-150 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर में कर सकते हैं. उपयुक्त खादों में यूरिया (46% N): 260-320 किग्रा/हेक्टेयर का इस्तेमाल फसलों को और भी उपजाऊ बना सकता है.
- फॉस्फोरस (Phosphorus): मक्का की जड़ों के विकास और दानों की गुणवत्ता के लिए फॉस्फोरस जरूरी है. अगर इसके उपयोग की बात करें तो 60-80 किग्रा P₂O₅ प्रति हेक्टेयर में बुवाई के समय ही दें (बेसल डोज) और खादों में डीएपी (18:46:0): 130-170 किग्रा/हेक्टेयर का इस्तेमाल करें.
- पोटाश (Potash): यह खाद पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और दानों की गुणवत्ता बढ़ाता है, जिसका उपयोग 40-60 किग्रा K₂O प्रति हेक्टेयर में कर सकते हैं. बुवाई के समय इन उपयुक्त खादें "म्यूरेट ऑफ पोटाश "(MOP) 65-100 किग्रा/हेक्टेयर में करें.
- जिंक और सल्फर (Zinc and Sulfur): आप सभी ने देखा होगा की कभी-कभी कुछ फसलों की पत्तियां पीली हो जाती है. ऐसे जिंक की कमी के कारण होता है, जिसे सरलता से दूर किया जा सकता है. जिंक सल्फेट 25 किग्रा बुवाई के समय मिट्टी में मिला दें.
लेखक: रवीना सिंह