Makka ki Kheti: किसानों के लिए मक्का की खेती काफी लाभदायक साबित होती है. लेकिन मक्का की फसल में कई तरह के खतरनाक कीट व रोग लग जाते हैं, जिसके चलते मक्के की पैदावार पर काफी असर देखने को मिलता है. बता दें कि मक्के की फसल में फॉल आर्मी कीट/ Fall armyworm in maize crop का प्रभाव काफी अधिक देखने को मिलता है. मक्का की अनुपलब्धता में यह कीट अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फॉल आर्मीवर्म कीट/Fall Armyworm Pest के लार्वा हरे, जैतून, हल्के गुलाबी या भूरे रंगों में दिखाई देते हैं. इस कीट की चार अवस्थाएं पाई जाती है. जो कुछ इस प्रकार से हैं. अंडा, लार्वा, प्यूपा और प्रौढ़.
आर्मीवर्म कीट की हानिकारक अवस्था
मक्के की फसल/ Maize crop को लार्वा ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने का काम करता है. इसमें काटने और चबाने वाले मुखांग पाए जाते हैं.
आर्मीवर्म कीट के लक्षण
मक्का की फसल में आर्मीवर्म कीट के लक्षण को पहचाने के लिए आपको फसल की पत्तियों पर ध्यान देना होगा. दरअसल, जब यह कीट फसल पर आक्रमण करता है, तो सबसे पहले मुलायम पत्तियों पर हमला करते हैं. आर्मीवर्म कीट के प्रभाव में आने के बाद मक्के की फसल की पत्तियां कैंची की तरह जैसे की पत्तियों को काटा गया हो इस तरह की दिखाई देती है.
प्रिवेंटिव नियंत्रण
किसान को फसल में इस कीट के नियंत्रण के लिए फसल बुवाई के करीब 30 दिन पहले मेटाराईजियम एनीसोप्ली 2 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में डालें. फिर 25 दिन के बाद फसल में फेरोमोन ट्रैप एकड़ लगवाएं.
रासायनिक कीट नियंत्रण
फसल का रासायनिक कीट नियंत्रण करने के लिए 10 ग्राम एमामेक्टिन बेंजोएट, 18.5%-6 मिली क्लोरेंट्रानिलिप्रोल और 45%-7 मिली स्पिनोसैड प्रति 15 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर फसल में छिड़काव करें.
जैविक नियंत्रण
आर्मीवर्म कीट का जैविक तरीके से नियंत्रण करने के लिए बैसिलस थुरिंजिनिसिस 200 ग्राम/200 लीटर पानी/एकड़ उपयोग करें.