मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 6 July, 2021 5:35 PM IST
उड़द की खेती कैसे होती है, जानें पूरा प्रोसेस

Black Gram Cultivation: उड़द एक दलहनी फसल/Pulse Crop है, जिसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा के सिंचित क्षेत्रों में की जाती है. यह एक अल्प अवधि की फसल है जो 60-65 दिनों में पक जाती है. इसके दाने में 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 24 फीसदी प्रोटीन तथा 1.3 फीसदी वसा पाया जाता है. कृषि जागरण के इस आर्टिकल में आज हम आपको उड़द की खेती/Urad ki Kheti कैसे की जाती है और इसकी उन्नत किस्में कौन-सी है इसके बारे में विस्तार से बताएंगे. ताकि आप सरलता से उड़द की खेती कर अच्छी उपज के साथ अपनी कमाई को बढ़ा सके. 

उड़द की खेती के लिए भूमि का चुनाव और तैयारी

हल्की रेतीली, दोमट मिट्टी उड़द की खेती/Urad Ki Kheti के लिए उपयुक्त मानी जाती है. वहीं पानी निकासी की उत्तम व्यवस्था होना चाहिए. जबकि मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.8 के मध्य होना चाहिए. इसकी बुवाई के लिए खेत की दो-तीन जुताई बारिश से पहले करना चाहिए. वहीं अच्छी बारिश होने के बाद बुवाई करना चाहिए इससे फसल की बढ़वार में मदद मिलती है.

उड़द की उन्नत किस्में/Varieties of Urad

1) चितकबरा रोग प्रतिरोधी किस्में

वी.बी.जी-04-008, वी.बी.एन-6, माश-114, को.-06. माश-479, पंत उर्द-31, आई.पी.यू-02-43, वाबन-1, ए.डी.टी-4 एवं 5, एल.बी.जी-20 आदि.

2) खरीफ सीजन की किस्में

के.यू-309, के.यू-99-21, मधुरा मिनीमु-217, ए.के.यू-15 आदि.

3) रबी सीजन की किस्में

के.यू-301, ए.के.यू-4, टी.यू.-94-2, आजाद उर्द-1, मास-414, एल.बी.जी-402, शेखर-2 आदि.

4) शीघ्र पकने वाली किस्में

प्रसाद, पंत उर्द-40 तथा वी.बी.एन-5.

ये भी पढ़ें: खरीफ सीजन में किसान सोयाबीन की खेती न करें- कृषि मंत्री

उड़द की खेती के लिए बुवाई का समय व तरीका

खरीफ सीजन/Kharif Season में जून के अंतिम सप्ताह में पर्याप्त बारिश के बाद उड़द की बुवाई करना चाहिए. इसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. वहीं बीज को 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर होनी चाहिए . गर्मी के दिनों में उड़द की बुवाई फरवरी के तीसरे सप्ताह से अप्रैल के पहले सप्ताह तक की जा सकती है.

उड़द की खेती के लिए बीज की मात्रा

खरीफ सीजन के लिए प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. वहीं यदि आप गर्मी में उड़द की खेती कर रहे हैं, तो प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीज की मात्रा होनी चाहिए.

उड़द की खेती के लिए बीजोपचार

बुवाई से पहले उड़द के बीज/Urad Seeds को 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए. इसके बाद बीज को इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस की 7 ग्राम मात्रा लेकर प्रति किलोग्राम बीज को शोधित करना चाहिए. बता दें कि बीज शोधन को कल्चर से दो तीन दिन पहले ही कर लेना चाहिए. इसके बाद 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचारित किया जाता है. इसके लिए 50 ग्राम शक्कर या गुड़ को आधा या एक लीटर पानी में अच्छी तरह उबालकर ठंडा कर लें. फिर इसमें राइजोबियम कल्चर डालकर अच्छी तरह हिला लें. अब 10 किलोग्राम बीज की मात्रा को इस घोल से अच्छी तरह उपचारित करें. उपचारित बीज को 8 से 10 घंटे तक छाया में रखने के बाद ही बुवाई करना चाहिए.

उड़द की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक

उड़द की खेती/Urad Cultivation के लिए प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 15 से 20 किलोग्राम, फास्फोरस 40 से 50 किलोग्राम तथा पोटाश 30 से 40 किलोग्राम खेत की अंतिम जुताई के समय डालना चाहिए. 100 किलोग्राम डीएपी से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की पूर्ति हो जाती है.

उड़द की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Urad Cultivation)

आमतौर पर वर्षाकालीन उड़द की खेती में सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. लेकिन फली बनते समय खेत में पर्याप्त नमी नहीं है तो एक सिंचाई कर देना चाहिए. वहीं जायद के सीजन में उड़द की खेती के लिए 3 से 4 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इसके लिए पलेवा करने के बाद बुवाई की जाती है फिर 2 से 3 सिंचाई 15 से 20 दिन के अंतराल पर करना चाहिए. वहीं इस बात का जरूर ध्यान रखें कि फसल में फूल बनते समय पर्याप्त नमी होनी चाहिए.

उड़द की खेती के लिए कटाई एवं मड़ाई (Harvesting and threshing for urad cultivation)

60 से 65 दिनों बाद जब उड़द की फलियां 70 से 80 फीसदी पक जाए तब हंसिया से इसकी कटाई की जाती है. इसके बाद फसल को 3 से 4 बार धूप में अच्छी तरह सुखाकर थ्रेसर की मदद से बीज और भूसे को अलग कर लिया जाता है.

उड़द की खेती का उत्पादन

उड़द की प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल तक उत्पादन आसानी से हो जाता है. उत्पादन को धूप में अच्छी तरह से सुखाने के बाद जब बीजों में 8 से 9 फीसदी नमी बच जाए तब अच्छी तरह से भंडारण करना चाहिए.   

English Summary: complete information about black gram cultivation
Published on: 06 July 2021, 05:38 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now