जुलाई में कोलार्ड ग्रींस (Collard greens) की खेती से किसान अपनी कमाई को बढ़ा सकता है. यह एक पौष्टिक पत्तेदार हरी सब्जी है जिसे विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है. भारत में इसे हका साग के नाम से भी जाना जाता है. यह साग खास तौर पर बरसात के मौसम या ठंडे मौसम में पनपता है. कोलार्ड ग्रींस के पौधे ज्यादा तापमान को सहन नहीं कर पाते हैं. आइये, इस साग के बारे में विस्तार से जानें.
ऐसे उगाया जाता है यह साग
कोलार्ड साग 6.0 और 6.8 के बीच पीएच वाली मिट्टी में उगते हैं. इस साग को बीज या प्रत्यारोपण से उगाया जा सकता है. अगर बीज से शुरुआत करें, तो ठंड से लगभग 8 से 10 सप्ताह पहले इसे बगीचे या खेत में बोया जाता है. बीजों को लगभग आधा इंच गहरा और 12 से 18 इंच की दूरी पर रोपना होता है. कोलार्ड साग को उगाने के लिए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है. इसलिए जब अंकुर कुछ इंच लंबे हों तो उन्हें लगभग 12 से 18 इंच की दूरी पर पतला करना अनिवार्य है.
ऐसे करें देखभाल
मिट्टी को लगातार नम रखें लेकिन जलभराव न होने दें. पौधों के चारों ओर मल्चिंग करने से नमी बनाए रखने और खरपतवार की वृद्धि को रोकने में मदद मिल सकती है. इस साग को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है. वहीं, इनमें कीड़े लगने का खतरा कम रहता है.
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कटाई का समय
कोलार्ड साग की कटाई तब की जा सकती है जब पत्तियां बड़ी और गहरे हरे रंग की हों. यह साग खेतों में बीज बोने के बाद लगभग पांच से छह हफ्तों में तैयार हो जाता है. कोलार्ड साग को ताजा उपयोग करना सबसे अच्छा होता है. हालांकि इन्हें थोड़े समय के लिए स्टॉक किया जा सकता है. इसके लिए पत्तियों को नियमित रूप से अच्छी तरह से धोना पड़ता है. उन्हें लगभग एक सप्ताह तक ताजा रखा जा सकता है.
भारत में यहां होता है कोलार्ड साग का उत्पादन
कोलार्ड साग (Collard greens) भारत में विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादित किया जाता है. इसका प्रमुख उत्पादन दक्षिण भारतीय राज्यों में होता है जहां मौसम ठंडा होता है. इस साग को कश्मीर में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. इसके अलावा, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के किसान भी विशेष रूप से इस साग की खेती करते हैं.
बाजार में इस साग की काफी मांग होती है. इसे औषधीय प्रयोग में भी लाया जाता है. अगर इस साग की कीमत के बारे में बात करें तो इसका एक गुच्छा लगभग 100 रुपये में बिकता है. जिससे यह अंदाजा लगा सकते हैं कि किसान इसकी खेती से महज दो महीने में कितनी कमाई कर सकते हैं.