आप सभी ने कोरोना महामारी से बूस्टर डोज लगवाने की ख़बर पढ़ी होगी. सरकार का अनुरोध है कि सभी कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीन जरूर लगवा लें. इसी कड़ी में अब 60 वर्ष और जो शारीरिक रूप से बीमार हैं, उनको सरकार बूस्टर डोज लगवा रही है.
जिससे उनका इम्युनिटी सही रहे. मगर अब इंसानों के साथ-साथ फसलों को भी बूस्टर डोज देने की तैयारी की जा रही है.दरअसल, ऐसी एक ख़बर हिमाचल से आई है, जहाँ इंसानों के बाद कॉफ़ी की फसलों को बूस्टर डोज देने की तैयारी की जा रही है.
मुफ्त में बांटे जाएंगे पौधे
हालांकि, यह प्रयास सरकार की ओर से नहीं बल्कि निजी प्रयासों के जरिये हो रहा है. इसके तहत राज्य के किसानों को 2 लाख पौधे मुफ्त में दिए जाने के बाद अब फिर करीबन इतने ही पौधे मुफ्त में दिए जाएंगे.
इन्डियन कॉफ़ी बोर्ड (Indian Coffee Board) के पूर्व सदस्य और कृषि विशेषज्ञ डॉ.विक्रम शर्मा के प्रयासों से राज्य में इस मुहीम को सफल बनाने के लिए अंजाम दिया जा रहा है. उनका कहना है कि हिमाचल के कई इलाकों कॉफ़ी की खेती के लिए अनुकूल है.
आपको बता दें कि डॉ. शर्मा हिमाचल के बाद उत्तराखंड और देश के अन्य पहाड़ी राज्यों में भी कॉफ़ी की खेती होनी की इच्छा रखते हैं. उन्होंने सबसे पहले कॉफ़ी की खेती उत्तर भारत में हिमाचल के कांगड़ा से की थी. जिसके लिए उन्होंने किसानों को मुफ्त पौधे देने के लिए कर्नाटक कॉफ़ी बोर्ड से कॉफ़ी के बीज मंगवाए थे.
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हिमाचल में कॉफ़ी
हिमाचल में कांगड़ा चाय की स्थिरता के बाद अब किसानों का रुझान कॉफी की ओर बढ़ा है. इसमें कृषि विभाग के चाय विभाग सक्रिय भूमिका निभाते नज़र आ रहे हैं. प्रदेश के छह जिलों में वर्तमान में कॉफी की खेती को परीक्षण के साथ-साथ व्यापारिक तौर पर किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में कॉफी की संभावनाओं को तालाशने के लिए भारतीय कॉफी बोर्ड के चेयरमैन के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया था. इसमें कॉफी अनुसंधान केंद्र, सीसीआरआइ, चिकमंगलूर के वैज्ञानिकों को लिया गया था. कमेटी ने अगस्त, 2012 में हिमाचल का दौरा कर प्रदेश में कॉफी उत्पादन की संभावनाओं को प्रबल करार देते हुए खेती करने की सलाह दी थी.
इसके बाद कृषि विभाग के चाय विभाग ने तकनीकी अधिकारी डीएस कंवर के नेतृत्व में कॉफी की खेती को आगे बढ़ाने की हरी झंडी दे दी.