Tractor Diesel Saving Tips: ट्रैक्टर में डीजल बचाने के 5 आसान तरीके, जिनसे घटेगी लागत और बढ़ेगा मुनाफा आगरा में स्थापित होगा अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र, मोदी कैबिनेट ने 111.5 करोड़ की परियोजना को दी मंजूरी यूपी में डेयरी विकास को बढ़ावा, NDDB को मिली तीन संयंत्रों की जिम्मेदारी किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 1 October, 2022 10:05 AM IST
चने की खेती करने की सम्पूर्ण जानकारी

चना रबी के सीजन की एक प्रमुख फसल है. इसे छोलिया या बंगाल ग्राम के नाम से भी जाना जाता है. दालों की फसलों में इसका एक अहम स्थान है और सब्जी बनाने से लेकर मिठाई बनाने तक इसका सभी में उपयोग किया जाता है.

आपको बता दें कि दुनिया में चना उत्पादन करने के मामले में भारत का सबसे पहला स्थान है और पाकिस्तान दूसरे नंबर पर आता है. भारत में मध्य प्रदेश, राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में इसकी फसल बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा आकार, रंग और रूप के आधार पर चने को दो श्रेणियों में बांटा गया है. जिसमें पहली श्रेणी में देशी या भूरा चना आता है और दूसरे श्रेणी में काबुली या सफेद चना आता है.

चने की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे चने की खेती हर तरह की मिट्टी में की जाती है, लेकिन इसकी खेती के लिए  रेतली या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसकी खेती करने के लिए पानी निकासी वाले खेत होना चाहिए. खारी या नमक वाली ज़मीन इसके लिए अच्छी नहीं होती है. चने की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करन के लिए 5.5 से 7 पी एच वाली मिट्टी अच्छी होती है.

चने की उन्नत किस्में और पैदावार

Gram 1137: यह किस्म मुख्य रुप से पहाड़ी क्षेत्रों के लिए है. इसकी औसतन पैदावार 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और इसके अलावा इस किस्म में वायरस से लड़ने के प्रतिरोधी क्षमता होती है.

PBG 7: यह किस्म मुख्य रुप से पंजाब के लिए है.  यह फली के ऊपर धब्बा रोग, सूखा और जड़ गलन रोग की प्रतिरोधक है. इस किस्म की औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और लगभग 159 दिनों में पक जाती है.

CSJ 515:  सिंचित इलाकों के लिए यह किस्म एकदम अनुकूल है और इसके दाने छोटे और भूरे रंग के होते हैं और भार 17 ग्राम प्रति 100 बीज होता है. यह किस्म तकरीबन 135 दिनों में पक जाती है और इसकी औसतन पैदावार 7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. 

BG 1053: यह एक काबुली चने की किस्म है और यह 155 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसके दाने सफेद रंग के और मोटे होते हैं. इसकी औसतन पैदावार 8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. इनकी खेती पूरे प्रांत के सिंचित इलाकों में की जाती है.

L 552: यह किस्म 2011 में जारी की गई थी और यह किस्म 157 दिनों में पक जाती है और इसकी औसतन पैदावार 7.3 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. इसके दाने मोटे होते हैं और इसके 100 दानों का औसतन भार 33.6 ग्राम होता है.

जमीन तैयार करन की विधि

जमीन तैयार करने की बात की जाए तो चने की फसल के लिए ज्यादा समतल खेत की जरूरत नहीं होती है. लेकिन अगर इसे गेहूं या किसी अन्य फसल के साथ मिक्स फसल के तौर पर उगाया जाये तो खेत की अच्छी तरह से जोताई होनी चाहिए.

चने की बुवाई

चने की बुवाई के बारे में बात की जाए, तो कम बारिश वाले क्षेत्र में 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच और सिंचाई वाले क्षेत्रों में 25 अक्तूबर से 10 नवंबर के बीच सिंचाई हो जानी चाहिए. चने की सही समय पर बुवाई करने बेहद जरुरी होता है क्योंकि अगर बुवाई देर से की जाती है तो पौधे का विकास धीमी गति से होता है. चने की बुवाई करते समय बीजों के बीच की दूरी 10 सैं.मी. और पंक्तियों के बीच की दूरी 30-40 सैं.मी. होनी चाहिए और बीज को 10-12.5 से.मी. गहराई में बोना चाहिए.

बुवाई के समय चने के बीज मात्रा

बुवाई के समय चने की बीज की मात्रा का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है. देशी किस्मों के लिए 15-18 किलो बीज प्रति एकड़ डालें और काबुली किस्मों के लिए 37 किलो बीज प्रति एकड़ डालें. अगर चने की बुवाई करने में देरी हो जाती है जैसे 15 नवंबर के बाद अगर बुवाई कर रहे हैं तो 27 किलो बीज प्रति एकड़ डालें और अगर 15 दिसंबर से पहले बुवाई कर रहे हैं तो 36 किलो बीज प्रति एकड़ डालें.

चने में खाद की मात्रा

कम पानी और सिंचित इलाकों वाले क्षेत्र में प्रति एकड़ के हिसाब से 13 किलो यूरिया और 50 किलो सुपर फासफेट डालें. जबकि काबुली चने की किस्मों के लिए बुवाई के समय 13 किलो यूरिया और 100 किलो सुपर फासफेट प्रति एकड़ के हिसाब से डालें.

खरपतवार नियंत्रण

चने में खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली गुड़ाई हाथों से 25 से 30 दिन बाद करें और जरुरत  पड़ने पर दूसरी गुड़ाई 60 दिनों के बाद करें. चने में नदीना रोग लगने पर पैंडीमैथालीन 1 लीटर प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 3 दिन बाद एक एकड़ में स्प्रे करें. 

फसल की कटाई

चने की कटाई तब करनी चाहिए जब पौधा सूख जाता है और पत्ते लाल-भूरे दिखते हैं और झड़ने शुरू हो जाते हैं, उस समय पौधा कटाई के लिए तैयार हो जाता है. कटाई करने के बाद फसल को 5-6 दिनों के लिए धूप में सुखाएं ताकि चने के अंदर से नमी खत्म हो सके. 

English Summary: chick pea farming know here how to get more production
Published on: 01 October 2022, 10:18 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now