छत्तीसगढ़ के मैनपाट में सेब, आलू बुखारा के बाद अनानास की खेती भी होने लगी है. यहां पर ठंडे प्रदेशों में उगाई जाने वाली फलों की खेती का सफल प्रयोग मैनपाट के बरिमा स्थित आलू और शीतोष्ण फल अनुसंधान केंद्र में किया जा रहा है. यहां अंबिकापुर में 800 पौधे लाकर यहां लगाए गए थे. जिसमें फल आने लगे है. मैनपाट की जलवायु को अनानास की खेती के लिए भी उपयुक्त पाया गया है. व्यावसायिक तौर पर यहां स्थानीय किसानों के अनानास की खेती से जुड़ने से उन्हें अतिरिक्त आय अर्जित करने का साधन मिल जाएगा.
छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में आलू अनुसंधान केंद्रों के साथ शीतोष्ण फलों की भी खेती की जा रही है. यहां ठंडे प्रदेशों में ली जाने वाली फलों की खेती का प्रयोग भी यहां पर सफल किया जा रहा है. यहां का मुख्य उद्देश्य मैनपाट के किसानों को पलों की खेती से जोड़कर आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में काफी मजबूत बनाना है. यहां के शीतोष्ण फल अनुसंधान केंद्र में सेब, अंगूर, आलु बुखारा समेत ठंडे प्रदेशों में फलों की खेती की जा रही है. यहां पर वैज्ञानिक नया प्रयोग भी कर रहे है. यहां पर कई कोशिशों के बाद पश्चिम बंगाल के पुरूलिया स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से अनानास के 800 पौधे लाए गए थे. यहां पर कृषि वैज्ञानिकों की टीम में ड्रिप पद्धति के सहारे अनानास के पौधे लगाए गए थे.
क्वीन प्रजाति का है अनानास
मैनपाट के आलू अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिकों ने दार्जिलिंग में होने वाले क्वीन प्रजाति का अनानास लगाया है.यहां पर फलों के वैज्ञानिकों ने बताया कि देश के अंदर मात्र चार तरह की प्रजाति के ही अनानास पाए जाते है. इनमें क्वीन प्रजाति काफी मीठा होता है और काफी अच्छा होता है. इसीलिए पश्चिम बंगाल के पुरूलिया कृषि अनुसंधान केंद्र से वर्ष 2018 में इसका पौधा वहां लाकर लगवाया गया है. यहां पर ड्रिप सिंचाई की तकनीक से पानी दिया जा रहा है और बाद में इसमें बारिश के पानी की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है.
सितंबर और अक्टूबर में होगी तैयारी
यहां पर लगे अनानास में फल लग गए है. लेकिन इसको तैयार होने में कई महीने बाकी है. आने वाले सिंतबर और अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह तक अनानास की खेती आसानी से तैयार हो जाएगी. इन फलों में किसी भी तरह से कोई कीट न लगे इस पर भी पूरी तरह से नजर रखी जा रही है. सितंबर और अक्टूबर में तैय़ार होने के बाद यदि स्वादिष्ट और ठंडे प्रदेशों की तरह बेहतर मिठास युक्त तो मैनपाट के किसानों को भी अपने खेतों में लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. इससे आने वाले समय में राज्य के किसानों को काफी ज्यादा फयादा होने की उम्मीद है.