आज कल वायरस आधारित कई उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नष्ट करने में सक्षम है. ये उत्पाद जैविक है अतः कीट प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित नहीं कर पाता. वायरस उन जीवों को कहते है जो केवल न्यूक्लिक एसिड एवं प्रोटीन के बने होते हैं. विषाणु का मुख्य विशेषता यह है कि यह परपोषी के अन्दर ही सक्रिय होता है वरना निष्क्रिय रहता है. आइये जानते है ये वायरस आधारित सूक्ष्मजैविक कीटनाशक कैसे कार्य करते है और कैसे कीटों को नष्ट करते हैं.
न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस (Nuclear Poly Hydrosis Virus- NPV)
एनपीवी एक वायरस पर आधारित सूक्ष्म जैविक कीटनाशी है. एन.पी.वी. वायरस का आकार बहुकोणीय होता है. यह कीट की प्रजाति विशेष के लिए तैयार किया जाता है या कारगर होता है. चने की सूँडी के लिए एन.पी.वी. (एच.ए.) एवं तम्बाकू की सूँडी के लिए एन.पी.वी. (एस.एल.) का प्रयोग किया जाता है.
क्या है एन.पी.वी की विशेषता (What is the specialty of N.P.V.)
जब एनपीवी का छिड़काव पत्तियों पर किया जाता है तो इन वायरसों से प्रभावित पत्ती को खाने से सुंडी (इल्ली) 4-7 दिन के अन्दर मर जाती है. सबसे पहले संक्रमित सूँडी (Caterpillar) सुस्त हो जाती है, खाना छोड़ देती है. उसके बाद सूँडी पहले सफ़ेद रंग में और बाद में काले रंग में बदल जाती है तथा पत्ती पर उलटी लटक कर मर जाती है.
एन.पी.वी का प्रयोग कैसे करें (How to use NPV)
इस जैविक उत्पाद को 250 एल.ई. प्रति हैक्टेयर की मात्रा से 500 लीटर पानी में मिलाकर फसल में प्रायः शाम के समय छिडकाव करते हैं, जब नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के अंडो से सूँडीयां निकलने का समय हो. इस घोल में 2 किलो गुड़ भी मिला लिया जाये तो अच्छे परिणाम मिलते हैं, क्योंकि ये जीवाणु गुड की उपस्थिती में अधिक मल्टीप्लाइ कर पाते हैं. 250 एल.ई. से मतलब है कि 250 संक्रमित सूँडीयों के शरीर में उपलब्ध वायरस से एन.पी.वी. तैयार किया गया है.
एन.पी.वी बाजार में किस नाम से उपलब्ध है (By what brand name is NPV available in the market)
यह बाज़ार में हेलीसाइड, बायो-वायरस–एच, हेलिओसेल, हेलिकोवेक्स, बायो-वायरस-एस., स्पोड़ो साइड, बायोकील्स आदि नाम से उपलब्ध है .
ग्रेनुलोसिस वायरस (Granulosis virus- GV)
इस सूक्ष्मजैविक वायरस का प्रयोग भण्डारण अनाजों, सूखे मेवों के कीटों, गन्ने का स्टेम बोरर, इन्टरनोड़ बोरर एवं गोभी की सुंडी आदि के विरुद्ध सफलतापूर्वक कार्य करता है.
क्या है ग्रेनुलोसिस वायरस की विशेषता: (What is the specialty of Granulosis virus)
यह वायरस संक्रमित पत्तियों या भोजन से कीट के मुख में प्रवेश करता है और पेट में जाकर अंदर की कोशिकाओं को संक्रमित करता है तथा अंत में कीट के अन्य अंगों को प्रभावित करके उसके जीवन चक्र को प्रभावित करता है. जिससे कीट की मृत्यु हो जाती है यह वायरस (विषाणु) वातवरण में फैलकर अन्य कीटों को भी बीमार कर मार देता है.
ग्रेनुलोसिस वायरस (जी.वी.) का प्रयोग कैसे करें: (How to use Granulosis virus- GV)
गन्ने तथा गोभी की फसल में कीट को मारने के लिए 1 किलोग्राम पाउडर को 100 लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडकाव किया जा सकता है. एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव के लिए 2 किलो जीवी वायरस पाउडर का प्रयोग किया जाता है.