सिर्फ 1.33 लाख में पाएं सुपर सीडर! सरकार दे रही है 1.20 लाख रुपये की सब्सिडी, जानें कैसे करें आवेदन खुद का बिजनेस शुरू करने का सुनहरा मौका! राज्य सरकार दे रही ब्याज पर 8% सब्सिडी, जानें पूरी योजना वैश्विक खाद्य सुरक्षा को लेकर नई दिल्ली में ‘डायलॉगनेक्स्ट’ सम्मेलन का आयोजन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 29 December, 2022 10:35 AM IST
अजमोद की खेती

अजमोद का प्रयोग हर प्रकार की सब्जी बनाने में  किया जाता है. यह एक द्विवार्षिक पौधा है. इसकी पत्तियां गाढ़ी हरी और चमकीली होती हैं. इसके फूल पीले हरे रंग के होते हैं. अजमोद के पत्ते और बीज को मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.  इस पौधे की खेती सर्दियों में बंगाल के भागों में की जाती है. आजकल इसका इस्तेमाल होटलोंरेस्टोरेन्ट और शादियों में सूपसलादसब्जियां सुगंधित एवं सुशोभित करने के लिए किया जाता है. यह काफी महंगी फसल होती है. ग्रामीण इलाकों में इसे बहुत ही कम पसन्द किया जाता हैं.

खेती की प्रक्रिया-

मिट्टी-

अजमोद की खेती के लिए हल्की बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है, लेकिन इसे हल्की व भारी सभी प्रकार के नम मिट्टी, जिसमें जल की निकासी हो, इस प्रकार की सभी मिट्टियों में उगाया जा सकता है. इसकी मिट्टी की तैयारी के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह देशी हल से 2 से 3 बार जोत लें और जुताई के समय खेत में मौजूद खरपतवार, ढेले और घास आदि की पूरी तरह से सफाई कर लें.

रोपण

अजमोद के पौधे को बीजों के रोपण से उगाया जाता है. इसके बीज के अंकुरण में 4 से 6 हफ्ते तक का समय लग जाता है. बीज बोने के लिए सितम्बर और अक्टूबर का माह उचित होता है. आपको बता दें कि प्रति एकड़ 200 से 300 ग्राम बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखने के बाद ही बोया जाता है, जिससे बीजों का अंकुरण आसानी से हो सके.

खाद

अजमोद की खेती के लिए प्रति एकड़ 15 टन गोबर, 60 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस तथा 60 किलो पोटाश की जरूरत होती है. नाइट्रोजन को दो बार में पौधों को रोपाई के 25 दिन व 60 दिन के अंतराल पर देना चाहिए.

कीटो से रोकथाम-

अजमोद के पौधे पर कीटों के रोकथाम के लिए रोगोर और मेटोसिस्टाक्स का घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें. अगर पौधों पर पाउडरी मिलड्यू का प्रकोप दिखाई दे तो उसकी रोकथाम के लिए बेवस्टिन के घोल का छिड़काव करना चाहिए.

पैदावार

अजमोद के पौधे की पैदावार प्रति हैक्टर 150 क्विंटल तक की जा सकती है. यह बाजार में 60-80 रुपये प्रति किलो बिकता है.

ये भी  पढ़ेंः भारत में उगाई जाने वाली सबसे महंगी 6 सब्जियां, जिनकी खेती से होगा डबल मुनाफा

स्वास्थ्य लाभ

अजमोद में कैल्शियम, सोडियम, मैग्निशियम व आयरन मौजूद होते हैं. इसके साथ-साथ विटामिन-ए,  सी,बी-6, बी-9 आदि भी मौजूद होते हैं. अजमोद का जूस त्वचा और बाल के लिए काफी फायदेमंद होता है. कैंसर, ब्लड-प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों की औषधि बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.

English Summary: Celery Cultivation and Management
Published on: 29 December 2022, 10:45 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now