फूलगोभी की खेती करने वाले किसानों के लिए इसकी 'सबौर अग्रिम' किस्म वरदान साबित हो रही है. यह किस्म बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की है. सबौर अग्रिम बेहद कम समय में तैयार वाली किस्म है. यह गोभी की अगेती किस्म है और इसे शीतोष्ण और उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ऊगा सकते हैं. तो आइए जानते हैं गोभी की उन्नत किस्म की बुवाई और देखभाल के बारे में :
गोभी की बुवाई के लिए कौनसी जलवायु सबसे सही ?
गोभी की सबौर अग्रिम किस्म को भारत सरकार की वेराइटी रिलीज कमेटी देश की हर जलवायु में उगाए जाने की मान्यता दे चुकी है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान सब्जी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. रणधीर कुमार का कहना है कि सबौर अग्रिम 65 से 70 में पक जाती है. जहां गोभी की दूसरी किस्में फूल आने के बाद 30-40 दिनों में पकती है जबकि ये किस्म फूल आने के 10 दिन बाद ही पक जाती है. डॉ. कुमार के मुताबिक सबौर अग्रिम की एक खासियत यह भी है कि यह किस्म एक साथ तैयार होती है इस वजह से इसे एक साथ काटकर बाजार में बेचा जा सकता है. जिससे दूसरी फसल भी आसानी से उगाई जा सकती है.
दो बार उत्पादन
गोभी की इस किस्म का फूल 250 से 500 ग्राम का होता है. जो दिखने में दूधिया औप कसा हुआ होता है. इस किस्म का साल में दो बार सफल उत्पादन किया जा सकता है. इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए 20 मई से 20 जुलाई का समय उत्तम है. जिसकी रोपाई 20 जून से 25 अगस्त कर सकते हैं. वहीं फरवरी महीने में रोपाई करके फिर मई महीने में उपज ली जा सकती है.
किसानों की पसंद
सबौत अग्रिम देशभर के किसानों की चहेती किस्म बनती जा रही है. बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान इसकी खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं. बिहार में अरवल, किशनगंज, बांका, भागलपुर, औरंगाबाद, पूर्णिया समेत कई जगह पर गोभी की यह किस्म उगाई जा रही है. उत्तर प्रदेश के मेरठ, बरेली और सराहनपुर समेत कई जिलों में किसान इसका सफल उत्पादन कर रहे हैं. बंगाल के सिलीगुड़ी क्षेत्र में भी इस किस्म को उगाया जा रहा है.