Aaj Ka Mausam: देश के इन 3 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें अगले 4 दिन कैसा रहेगा मौसम? PM Kusum Yojana से मिलेगी सस्ती बिजली, राज्य सरकार करेंगे प्रति मेगावाट 45 लाख रुपए तक की मदद! जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया Farmers News: किसानों की फसल आगलगी से नष्ट होने पर मिलेगी प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये की आर्थिक सहायता! Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 27 May, 2022 4:04 PM IST
Cauliflower Farming

वातावरण में बदलाव, असंतुलित मात्रा में प्रयोग उर्वरक, सूष्म तत्व, सिंचाई तथा समयानुसार किस्मों का चयन नहीं करने के कारण पौधों में उत्पन विषमताएं या विकार जिसके कारण फूलगोभी में उत्पादन एंव गुणवक्ता पर विपरित प्रभाव पड़ता ळें फूल गोभी में मुख्यतः निम्नलिखित विकार या विषमताएं पाई जाती है.

ब्राउनिंगः

यह बोरोन की कमी के कारण उत्पन्न होता है. इसमें तना खोखला हो जाता है तथा फूल भूरा रंग का हो जाता है. खेत की तैयार करते समय 8 से 10 किलो ग्राम बोरेक्स प्रति हैक्टर मिट्टी में मिलाकर इसकी राकथाम की जा सकती है. खड़ी फसल में 0.4 प्रतिषत बोरेक्स का फूल बबने से पहले एंव फूल बनने ले तब दो बार छिडकाव करें.

व्हिपटेलः

यह विषमता मोलीब्डेनम की कमी के कारण होता है. इसमें पत्ती पर्ण पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता तथा सकरी पत्ती की संरचना बन जाती है. इस प्रकार के फुल आकार मे बड़े नही हाते है तथा बाजार के लिये उपयुक्त नहीं होते है. इसकी रोकथाम भूमि में चूनें का प्रयोग करके जिससे भूमि में अम्लता कम हो जाती है और मृदा का पी. एच. 6.5 तक बड़ जाता है तथा सोडियम मोलीब्डेट या अमोनियम मोलीब्डेट 1.5 किलाग्राम प्रति हैक्टर को भूमि में मिलाने से इसकी रोकथाम की जा सकती है.

बटनिंग

पौधें में छोटे-छोटे फूल (बटन जैसे) के बनने को ही बटनिंग कहते है. यह नत्रजन की कमी तथा देर से रोपाई के कारण उत्पन होती है. अधिक दिनों की पौध को रोपण के कारण भी बटनिंग होती है. इसकी रोकथाम हेतु पौध को रोपण समय से की जाऐं अधिक दिनों की पौध का रोपण नही करें तथा उचित मात्रा में खद एंव उर्वरकों का प्रयोग करें

ब्लाइंडनेस

कभी-कभी ऐसा होता है कि पौधों की शीर्ष कलिका विकसित नहीं हो पाती, टूट जाती है या कीड़ो के द्वारा नष्ट कर दी जाती है. इस प्रकार के पौधा बिना फूल के वृद्धि करता है इसे ब्लाइन्डनेस कहते है. इसमें पत्तियॉ बड़ी, गहरे रंग की तथा मोटी हो जाती है. यह तापमान के कम होने के कारण भी उत्पन्न हो सकता है. इस प्रकार के पौधों को खेत से निकाल देना चाहिए.

यह भी पढ़े : दीमक का प्रकोप किसानों के लिए बन रहा खतरा, रसायनिक तथा घरेलू तरीकों से करें रोकथाम

रिसेनेस

जब गोभी के फूल की सतह ढीली हो और पेडिकेल के बढ़ने के कारण मखमली दिखाई दे और फूल बनने की अवस्था में छोटी सफेद फूल की कलियाँ बन जाएँ, तो ऐसे गोभी के फूल को “राइसी” कहा जाता है और इस विकार को रिसेनेस कहते है. उतार-चढ़ाव और प्रतिकूल तापमान के अलावा, नाइट्रोजन और आर्द्रता के भारी उपयोग से “राइसी” में नमी आ सकती है. खेती के एक विशेष समय के लिए उचित किस्मों का चयन, नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक का इष्टतम उपयोग और प्रतिरोधी और सहनशील किस्मों के रोपण से इस स्थिति को कम करने में मदद मिलती है.

पौधें में छोटे-छोटे फूल (बटन जैसे) के बनने को ही बटनिंग कहते है. यह नत्रजन की कमी तथा देर से रोपाई के कारण उत्पन होती है. अधिक दिनों की पौध को रोपण के कारण भी बटनिंग होती है. इसकी रोकथाम हेतु पौध को रोपण समय से की जाऐं अधिक दिनों की पौध का रोपण नही करें तथा उचित मात्रा में खद एंव उर्वरकों का प्रयोग करें.

पत्तेदार फूल (लीफीकर्ड)

फूल के खण्डों के अंदर छोटी हरी पत्तियों का विकास उन्हें पत्तेदार बनाता है. उच्च तापमान की व्यापकता विशेष रूप से फूल बनने की शुरुआत के बाद या तापमान में उतार-चढ़ाव के बाद पत्तेदार फूल बन जाता है. उचित किस्मों के चयन से इसे कम करने में मदद मिल सकती है.

खोखला तना (होलोस्टेम)

भारी निषेचित मिट्टी में, विशेष रूप से नाइट्रोजन के साथ, फूलगोभी के तेजी से बढ़ने वाले पौधे खोखले तने और फूल का विकास करते हैं. इसे निकट दूरी और नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों के इष्टतम उपयोग द्वारा ठीक किया जा सकता है.

हरिद्रोग (क्लोरोसिस)

क्लोरोसिस निचली पुरानी पत्तियों के अंतःशिरा, पीले धब्बे को दर्शाता है. चूंकि फूलगोभी में मैग्नीशियम की उच्च आवश्यकता होती है, इसकी कमी से उच्च अम्लीय मिट्टी पर उगाए जाने पर क्लोरोसिस होता है. मैग्नीशियम ऑक्साइड लगाने से इसे ठीक किया जा सकता है. मिट्टी को सीमित करना और घुलनशील मैग्नीशियम युक्त रासायनिक उर्वरक का उपयोग भी इसे नियंत्रण में रखता है.

लेखक:

डाँ उदल सिंह एंव डाँ. योगेन्द्र कुमार मीणा,

राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा, कृषि विज्ञान केन्द्र, कोटपुतली, जयपुर

(श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विष्वविघालय, जोबनेर,जयपुर)

English Summary: cauliflower diseases and their control
Published on: 27 May 2022, 04:21 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now