नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 26 October, 2020 3:16 PM IST

पिछले कुछ सालों से देश के किसानों का रुझान पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक और उन्नत खेती की तरफ बढ़ा है. ऐसी ही खेती मशरुम की, जिसके प्रति किसानों में काफी रूचि है. इसकी खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे भूमिहीन किसान भी कर सकते हैं. आज हम आपको बटन मशरूम की उन्नत खेती के तरीके बताने जा रहे हैं.  

 भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित

पूरी दुनिया में मशरूम की अन्य किस्मों की तुलना में बटन मशरूम की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. भारत में भी यही मशरूम सबसे ज्यादा प्रचलित है. इसका टेस्ट खाने में अन्य किस्मों की तुलना में स्वादिष्ट होता है. एक अनुमान के मुताबिक, देश के 80 प्रतिशत हिस्से में बटन मशरूम की खेती होती है. इसका आकार मांसल और टोपीनुमा होता है और बाजार में इसकी मांग सबसे ज्यादा होती है. 

जलवायु

मशरूम की कोई भी प्रजाति हो लेकिन इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु उत्तम मानी जाती है. बटन मशरूम की खेती के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है. अक्टूबर से फरवरी महीना मशरूम की खेती के लिए अनुकूल है. बता दें कि इस प्रजाति की अच्छी उपज के लिए 22-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान और 80-85 प्रतिशत नमी सर्वोत्तम है. 

उगाने की तैयारी

इसको उगाने के लिए गेहूं के भूसे या धान की पुआल और कम्पोस्ट खाद की आवश्यकता होती है. यदि यह दोनों उपलब्ध नहीं है तो सरसों के भूसे को मुर्गी की बीट से बनी खाद का उपयोग करें. इसके अलावा बेहतर कम्पोस्ट बनाने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है. अच्छी कम्पोट के लिए 1.5 से 2.5 फीसदी नाइट्रोजन की मात्रा होना चाहिए.

कैसे बनाएं कम्पोस्ट-

सबसे पहले भूसे को पक्के फर्श पर बिछाकर एक मोटी परत बना लें. इसके बाद इसे पानी से दो दिन तक गीला करें. भूसे में 80 से 85 प्रतिशत की नमी आ जाना चाहिए. इससे मशरूम के बीजों का अंकुरण अच्छा होता है. मशरूम के 4 से 5 किलो बीज के लिए निम्न सामग्री की जरुरत पड़ती है-

गेहूं का भूसा -300 कि.ग्रा.

कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट- 9 कि.ग्रा.

यूरिया- 4.5 कि.ग्रा.

म्यूरेट ऑफ पोटाश -3 कि.ग्रा.

सुपर फास्फेट-3 कि.ग्रा.

गेहूँ का चोकर-15 कि.ग्रा.

जिप्सम- 20 कि.ग्रा.

कैसे करें बीजरोपण

बीज बुवाई के पहले इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बीज अधिक पुराना नहीं होना चाहिए. बीज मात्रा की बात की जाए तो 2 कि.ग्रा. बीज के लिए  100 कि.ग्रा. कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है. कम्पोस्ट को पॉलीथिन बैग में भरकर ऊपर से बीज को फैला दें और कम्पोस्ट की 2 से 3 सेंटीमीटर की परत चढ़ा दें. इससे बीजों का अच्छा अंकुरण होता है. 

देखभाल कैसे करें

  • मशरूम की खेती के लिए विशेष देखभाल की जरुरत पड़ती है. जिस कमरे में मशरूम के बैग्स रखें उसमें रोशनी एवं हवा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. पर्याप्त नमी के लिए एयरकंडीशनर का उपयोग भी किया जाता है. ध्यान रहे समय-समय पर इस बात की करना चाहिए कि कम्पोस्ट में पर्याप्त नमी है या नहीं.

  • यदि कमरे में पर्याप्त रौशनी नहीं आ रही है तो बल्ब का उपयोग किया जा सकता है. वहीं हवा के लिए सुबह शाम कुछ देर के लिए खिड़की और दरवाजे खोल देना चाहिए.

फसल की कटाई

मशरूम जब काटने योग्य आ जाए तब सावधानीपूर्वक निकाल लेना चाहिए. फसल कटाई के समय किसी प्रकार के औजार का प्रयोग नहीं करना चाहिए इससे इंफेक्शन का खतरा रहता है. मशरूम के भंडारण के लिए ठंडे स्थान का चुनाव करें. इसे 5 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में भंडारित करें.

English Summary: button mushroom farming in hindi
Published on: 26 October 2020, 03:21 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now