छत्तीसगढ़ के कोरबा में लगातार भू-जल स्तर में कमी आ रही है और जल संकट पैदा होता दिखाई दे रहा है. उससे पहले करतला और कोरब के ब्लॉक में पहले 30 से 35 फीट तक भू-जल स्तर गिरता था. इस संकट का असर खेती पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है.
इसके चलते धान की फसल लेने वाले किसान अब दलहन और तिलहन की खेती करने में लगे हुए है. इसमें मूंगफली, उड़द, मूंग व सूरजमुखी शामिल है. पहले इनकी 30-40 गांवों में शुरूआत हुई थी और अब इनकी संख्या बढ़ गई है. इससे पानी की खपत करीब 80 प्रतिशत तक कम हो गई है और मात्र 20 प्रतिशत में ही मूंगफली और उड़ और मूंग की फसल पैदा हो जाती है.
दलहन-तिलहन की खेती से हो रहा फायदा (Benefits of pulses and oilseeds cultivation)
किसानों का कहना है कि धीरे-धीरे कुंए का जल स्तर घटने लगा है और वह जलस्तर के गिरने के कारण बोर से सिंची कर रहे है. धान की फसल में तीन महीने तक लगातार पानी की जरूरत भी पड़ती है. लेकिन मूंगफली की फसल में तीन से चार बार सिंचाई में ही बेहतर पैदावार हो जाती है.
नदी -नाले के किनारे अभी भी किसान धान की फसल लेते है लेकिन मैदानी क्षेत्रों में भू-जल स्तर गिरने के कारणपानी की समस्या ज्यादा बढ़ती जा रही है.
पहले किसान करते थे मूंगफली की खेती (Earlier farmers used to cultivate peanut)
लखन सिंह का कहना है कि पहले गांव में कुछ किसान मूंगफली की खेती करते थे लेकिन पानी की बचत देखते हुए और भी ज्यादा किसान अब धान की जगह मूंगफली व उड़द की फसल ले रहे है.
किसानों को धान की जगह आमदनी भी बेहतर हो रही है और किसान इससे प्रभावित भी हो रहे है. किसानों को दलहन और तिलहन की खेती से पैदावार भी काफी अच्छी मिल रही है.