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Updated on: 20 September, 2019 6:01 PM IST

अपने लजीज स्वाद के लिए जाने जाना वाला ड्रैगन फ्रूट अब छत्तीसगढ़ के बस्तर के बगीचों में भी दिखेगा. हिंदी भाषा में अजगर फल कहे जाने ड्रैगन फ्रूट में जो ऑक्सीडेंट पाया जाता है, वह कैंसर से लड़ने में सहायक होता है. ज्यादातर पश्चिमी देशों में पैदा होने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती बस्तर के ब्लॉक के पंडानार गांव से शुरू हो चुकी है. यहां पर यह 250 से 500 रूपए किलो में बिकता है. औषधीय गुणों से भरपूर ड्रैगन फल की खेती कर रहे प्रगतिशील किसान भारत भाई चावड़ा इसे मुनाफे की उपज बताते है. चावड़ा खेती के नए-नए तरीके अपनाने के साथ अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे है. इससे वह अपने खेत में मिर्च और उसके बाद करेले की खेती भी कर रहे है.

कॉलेस्ट्रोल करता कम

ड्रैगन फल में विटामिन होता है. इसमें कोलेस्ट्रॉल को काफी हद तक कम करने की क्षमता होती है. साथ ही यह शुगर और अस्थमा जैसी कई बीमारियों के लिए लाभप्रद होता है. एक ड्रैगन फ्रूट में 60 कैलोरी होती है. यहां पर कम वर्षा वाले क्षेत्र और कम पानी वाले क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती को आसानी से किया जा सकता है. इसके पौधों में मौसम के उतार-चढाव को सहने की क्षमता अधिक होती है, इसकी पैदावर सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है.

महाराष्ट्र के किसानों से प्रेरणा

महाराष्ट्र पंडनगर में अपने पांच एकड़ भूमि पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे भरत भाई चावड़ा ने बताय़ा कि खेती में कुछ अलग करने की मंशा के साथ इंटरनेट पर भी काफी खोज करता था. इसी दौरान रायपुर और महाराष्ट्र के किसानों के ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की जानकारी मिली हुई है. रायपुर से उन्होंने पौधे मंगवाए है. यहां पर एक पौधा 25 रूपए में मिला था. ड्रैगन फल का पौधा मूलरूप से जीसस हिलोसेरियस की कैक्टस बेल होती है. इसकी बेल पूरी तरह से उष्णकंटिबंधीय देशों में की जाती है. इसकी आयु कुल 15 से 20 वर्ष तक होती है.

English Summary: Bumper production of dragon fruit will now be done in this district of Chhattisgarh
Published on: 20 September 2019, 06:04 PM IST

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