Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 6 May, 2020 12:08 PM IST

मई का महीना बैंगन की खेती का है. वर्तमान में किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक इसकी बहुत सी किस्में ईजाद कर रहे हैं. ये सभी किस्में उच्च पोषक तत्वों के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर भी है. निसंदेह बैंगन की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है, लेकिन इसमें लगने वाले कई तरह के रोग पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं. ऐसे में किसानों को बैंगन में लगने वाले रोगों और उसके रोकथाम के बारे में मालुम होना चाहिए. चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं.

फलगलन

बैंगन में होने वाला यह सबसे आम और गंभीर रोग है. इस रोग के प्रभाव में आकर फलों का रंग भूरा हो जाता है. इस रोग का आरंभ पत्तों से होता है.

रोकथाम

इस रोग के रोकथाम के लिए जरूरी है कि स्वस्थ बीजों का ही इस्तेमाल किया जाए. बुवाई से पहले बीजों का उपचार 2.5 ग्राम कैप्टान प्रति किलो की दर से किया जाना चाहिए. फलों के लगने के बाद जिनेब 400 ग्राम दवा का 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव में 10 से 12 दिन का अंतराल रखें.

जड़गाठ रोग

इस रोग के प्रभाव से बैंगन की जड़ों को नुकसान होता है और पौधा धीरे-धीरे पीला पड़ने लग जाता है. पौधों की जड़ों में गांठ बनने लग जाती है और बैंगन की बढवार रूक जाती है.

रोकथाम

मई और जून में खेत की दो से तीन गहरी जुताईयां करनी चाहिए. जैविक कीटनाशकों का उपयोग भी लाभकारी है.

छोटी पत्ती व मौजेक रोग

इस रोग का पता आम तौर पर देरी से लगता है. इसके प्रभाव में आकर पौधा पूरी तरह से बौना रह जाता है. पत्तों का आकार छोटा ही रहता है और अधिक पीले दिखाई देने लगते हैं. इस रोग के प्रभाव में आते ही फल उगना कम कर देते हैं.

रोकथाम

इस रोग की रोकथाम के लिए जरूरी है कि प्रांरभिक अवस्था में ही रोगी पौधे को निकाल दिया जाए. पौधा रोपण से पहले उसकी जड़ों को आधे घंटे तक ट्रेट्रासिकिलन के घोल में 500 मिग्रा प्रति लीटर डुबाकर रखा जा सकता है. अगर आपको बैंगन की उन्नत किस्मों के बारे में जानना है, तो आप कृषि जागरण के इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी ? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

English Summary: Brinjal and Diseases Symptoms and method of Control know more about brinjal farming
Published on: 06 May 2020, 12:12 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now