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Updated on: 13 May, 2022 2:30 PM IST
Mashrum Cultivation

बिहार एक बार फिर से देश का सबसे ज्यादा मशरूम उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है. यहां के किसान मशरूम की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. ओडिशा में सबसे अधिक मशरूम उत्पादन होता रहा है लेकिन इस बार बिहार ने ओडिशा को भी पीछे छोड़ दिया है. अब बिहार का देश के कुल मशरूम उत्पादन में 10 फीसदी हिस्सा हो गया है.

बिहार में इस बार कितना हुआ है मशरूम का उत्पादन

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार बिहार में 2021-22 में 28,000 टन से अधिक मशरूम का उत्पादन हुआ है. बिहार के मशरूम की मांग पूर्वोत्तर के राज्यों, यूपी और झारखंड में भी बहुत है. 

बिहार में मशरूम की किस्में (Mushroom varieties in Bihar)

बिहार में किसान भाई बटन, ऑएस्टर और दूधिया मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. यहां अधिकांश किसान मशरूम की खेती को अपना रहे हैं. बिहार में 60 से 70 हजार किसान इसकी खेती में लगे हुए हैं. यहां मशरूम की खेती ने व्यवसायिक खेती का रूप ले लिया है.

किसानों को मशरूम की खेती का दिया जाता है प्रशिक्षण (Farmers are given training in mushroom cultivation)

बिहार के समस्तीपुर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद विश्वविद्यालय की तरफ से किसानों को मशरूम के विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण संस्थान पूसा के द्वारा किसानों को मशरूम की खेती के लिए कई प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है.  किसान इसमें  पंजीयन करा कर मशरूम की खेती का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से आवेदन मांगे जाते हैं. इसमें आवेदन करके किसान पंजीयन शुल्क जमा कराकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

कम लागत में की जा सकती है मशरूम की खेती

मशरूम की खेती को पुआल पर भी किया जा सकता है. पुआल पर मशरूम की खेती करने से किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिल सकता है. यह तकनीक डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई है. विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों के अनुसार गर्मी का मौसम इस प्रक्रिया के लिए अनुकूल रहता है. इस मौसम में पुआल पर कम समय में मशरूम से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया सकता है. ये तकनीक दूधिया मशरूम के लिए उपयुक्त पाई गई है. इस तकनीक से 15 से 20 दिन में मशरूम तैयार हो जाता है जबकि अन्य तकनीक में मशरूम 30 से 35 दिनों में तैयार होता है.

कम लागत में की जा सकती है मशरूम की खेती

मशरूम की खेती को पुआल पर भी किया जा सकता है. पुआल पर मशरूम की खेती करने से किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिल सकता है. यह तकनीक डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई है. विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों के अनुसार गर्मी का मौसम इस प्रक्रिया के लिए अनुकूल रहता है. इस मौसम में पुआल पर कम समय में मशरूम से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया सकता है. ये तकनीक दूधिया मशरूम के लिए उपयुक्त पाई गई है. इस तकनीक से 15 से 20 दिन में मशरूम तैयार हो जाता है जबकि अन्य तकनीक में मशरूम 30 से 35 दिनों में तैयार होता है.

वातावरण है मशरूम की खेती के अनुरूप

बिहार की जलवायु विभिन्न प्रकार के मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त है.

ओयस्टर मशरूम -  20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान 

बटन मशरूम - 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेट

वृहत / स्वेट दूधिया -  30 से 80 डिग्री सेंटीग्रेट

बिहार में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती कम लागत में आसानी से की जा सकती है, क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति मशरूम की खेती के लिए काफी अच्छी है. यही कारण है कि आज यहां के किसान मशरूम की व्यवसायिक स्तर पर खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.

ऐसे बढ़ा उत्पादन का आंकड़ा

वर्ष 2010 में बिहार में 400 टन बटन मशरूम एवं 80 टन ओयस्टर मशरूम का उत्पादन होता था, जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. और आज बिहार में सबसे अधिक 28,000 टन मशरूम उत्पादन हो रहा है.

ध्यान देने योग्य बात

बटन मशरूम के उत्पादन में सामान्य पुआल की कुट्टी एवं गेहूं भूसा का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बटन मशरूम, श्वेत दूधिया मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक विशेष प्रकार के कम्पोस्ट का निर्माण किया जाना जरूरी होता है.

मशरूम की खेती से युवाओं को मिल रहा रोजगार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 60 हजार से अधिक छोटे किसान बटन, ऑएस्टर और दूधिया मशरूम का उत्पादन कार्य में लगे हुए हैं. इसमें जेल में प्रशिक्षण लेने के बाद सजा काटकर घर पहुंचे लोग भी शामिल हैं.

घर पर भी कर सकते हैं मशरूम का उत्पादन

यदि आप मशरूम का उत्पादन करना चाहते हैं तो आप इसे घर से भी शुरू कर सकते हैं. इसके लिए कोई लंबी-चौड़ी जगह की जरूरत नहीं होती है. एक छोटे से कमरे या जगह से भी इसका उत्पादन शुरू किया जा सकता है.

इसके लिए आप धान की कटाई के बाद बचे हुए पुआल को छोटी-छोटी मुट्ठी  बनाकर बांध लें. इसके बाद उन्हें 15 से 20 मिनट तक पानी में फुलाकर गर्म पानी से निकालें . आगे चोकर की तरह उसे बांधकर नीचे के पुआल वाली मुट्ठी पर मशरूम के बीज को रख दें. आखिर में पुआल की परतें बनाकर बीज को डाल दें. इस तरह से घर पर ही टेबल का आकार बनाकर मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है.

English Summary: Bihar became number 1 in mushroom farming, know its advanced method of cultivation and advanced varieties
Published on: 13 May 2022, 02:20 PM IST

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