सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 7 May, 2024 3:27 PM IST
भिंडी की फसल में लगने वाले रोग और उनके उपाय

Okra Diseases: भारत के किसान गेहूं कटाई के बाद अतिरिक्त आमदनी कमाने के लिए सब्जियों की खेती करते हैं, इनमें सबसे ज्यादा खीरा, तोरई, बैंगन और भिंडी जैसी अन्य सब्जियों को उगाना पंसद करते हैं. लेकिन तेज गर्मी और लगातार बढ़ते तापमान से सब्जियों की फसल को कई प्रकार के रोग घेर लेते हैं. यदि हम गर्मी और बढ़ते तापमान से भिंडी की फसल में लगने वाले रोगों की बात करें, तो इसमें चूर्णिल फफूंद रोग, पीला मोजैक, फल छेदक और कटुआ कीट इसकी फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. अगर इन्हें समय पर नियंत्रण में नहीं रखा जाए, तो इससे पूरी फसल भी बर्बाद हो सकती है.

कम समय में अच्छी कमाई करने के लिए भिंडी की फसल लाभदायक हो सकती है. लेकिन इसकी फलस में लगने वाले रोगों को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है.

1. चूर्णिल फफूंद रोग

चूर्णिल फफूंद रोग का असर सूखे मौसम में पत्तियों पर होता है. भिंडी की फसल में इस रोग के लगने से पत्तियों पर सफेद रंग की परत जमनी शुरू हो जाती है और पत्तियां धीरे-धीरे गिरने लग जाती है. इस रोग के लगने के बाद टेढ़े-मेढ़े फल बनने लगते हैं. चूर्णिल फफूंद रोग को नियंत्रण में रखने के लिए प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम सल्फर पाउडर को घोल कर खेतों में इस मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा, आप इस रोग को नियंत्रण करने के लिए प्रति लीटर पानी में 6ml कैराथीन को घोलकर भिंडी की फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: जबरदस्त है गहरी जुताई के फायदे, कम लागत के साथ बढ़ता है उत्पादन!

2. पीला मोजैक रोग

भिंडी की फसल में पीला मोजैक रोग सफेद मक्खी से फैलता है. इस रोग की वजह से पत्तियों की शिराएं पीली पड़ने लग जाती है. यह रोग भिंडी की फसल में लगने के बाद फल के साथ-साथ पूरे पौधे को पीला कर देता है. किसान पीला मोजैक रोग से भिंडी की फसल को नियंत्रण में रखने के लिए प्रति लीटर पानी में 2ml इमिडाक्लोप्रिड को घोलकर खेतों में छिड़काव कर सकते हैं. इसके बाद, 15 दिन के अंतराल पर दोबारा से प्रति लीटर पानी में 2ml थाइमेट घोलकर फसलों पर छिड़काव कर देना है.

3. छेदक कीट

भिंडी की फसल में लगने वाले छेदक कीट तेजी से फल को नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीट भिंडी के फल के अंदर घुसकर इसमें अंडे दे देती है और तेजी से अपनी संख्या बढ़ती है. जब भिंडी की फसल में 5 से 10 प्रतिशत तक फूल निकल जाए, तो किसानों को उस समय प्रति 3 लीटर पानी में 1 ग्राम थियामेथोक्सम को घोलकर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए. इसके 15 दिनों बाद किसानों को अन्य रोगों से फसल को सुरक्षित रखने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या क्युनालफॉस का छिड़काव करना चाहिए.

4. कटुआ कीट

कटुआ कीट भिंडी की फसल में लगने के बाद काफी तेजी से इसे नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीट लगने के बाद भिंडी के पौधे के तने को काटने लग जाता है और पौधा टूटकर गिरने लग जाता है. ऐसे में किसान इस कीट को नियंत्रण में करने के लिए मिट्टी में मिलाने वाले कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं. किसान भिंडी की फसल को कटुआ कीट से नियंत्रण के लिए प्रकि एकड़ में 10 किलोग्राम के हिसाब से थाइमेट-1 जी और कार्बोफ्यूरान 3जी को मिट्टी में मिला देना है.

कब करें कटाई

किसानो को भिंडी की फसल में इन सभी कीटनाशकों का छिड़काव करने के बाद हार्वेस्टिंग में सावधानी बरतनी चाहिए. भिंडी की फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करने के लगभग 5 से 7 दिनों बाद ही भिंडी की कटाई करनी चाहिए. ऐसा करने से दवा का असर कम हो जाता है और मानव स्वास्थ्य को भी कोई नुकसान नहीं होता है.

English Summary: bhindi ki fasal mai dangerous diseases affecting okra crop and their remedies
Published on: 07 May 2024, 03:32 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now