Okra Diseases: भारत के किसान गेहूं कटाई के बाद अतिरिक्त आमदनी कमाने के लिए सब्जियों की खेती करते हैं, इनमें सबसे ज्यादा खीरा, तोरई, बैंगन और भिंडी जैसी अन्य सब्जियों को उगाना पंसद करते हैं. लेकिन तेज गर्मी और लगातार बढ़ते तापमान से सब्जियों की फसल को कई प्रकार के रोग घेर लेते हैं. यदि हम गर्मी और बढ़ते तापमान से भिंडी की फसल में लगने वाले रोगों की बात करें, तो इसमें चूर्णिल फफूंद रोग, पीला मोजैक, फल छेदक और कटुआ कीट इसकी फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. अगर इन्हें समय पर नियंत्रण में नहीं रखा जाए, तो इससे पूरी फसल भी बर्बाद हो सकती है.
कम समय में अच्छी कमाई करने के लिए भिंडी की फसल लाभदायक हो सकती है. लेकिन इसकी फलस में लगने वाले रोगों को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है.
1. चूर्णिल फफूंद रोग
चूर्णिल फफूंद रोग का असर सूखे मौसम में पत्तियों पर होता है. भिंडी की फसल में इस रोग के लगने से पत्तियों पर सफेद रंग की परत जमनी शुरू हो जाती है और पत्तियां धीरे-धीरे गिरने लग जाती है. इस रोग के लगने के बाद टेढ़े-मेढ़े फल बनने लगते हैं. चूर्णिल फफूंद रोग को नियंत्रण में रखने के लिए प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम सल्फर पाउडर को घोल कर खेतों में इस मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा, आप इस रोग को नियंत्रण करने के लिए प्रति लीटर पानी में 6ml कैराथीन को घोलकर भिंडी की फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.
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2. पीला मोजैक रोग
भिंडी की फसल में पीला मोजैक रोग सफेद मक्खी से फैलता है. इस रोग की वजह से पत्तियों की शिराएं पीली पड़ने लग जाती है. यह रोग भिंडी की फसल में लगने के बाद फल के साथ-साथ पूरे पौधे को पीला कर देता है. किसान पीला मोजैक रोग से भिंडी की फसल को नियंत्रण में रखने के लिए प्रति लीटर पानी में 2ml इमिडाक्लोप्रिड को घोलकर खेतों में छिड़काव कर सकते हैं. इसके बाद, 15 दिन के अंतराल पर दोबारा से प्रति लीटर पानी में 2ml थाइमेट घोलकर फसलों पर छिड़काव कर देना है.
3. छेदक कीट
भिंडी की फसल में लगने वाले छेदक कीट तेजी से फल को नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीट भिंडी के फल के अंदर घुसकर इसमें अंडे दे देती है और तेजी से अपनी संख्या बढ़ती है. जब भिंडी की फसल में 5 से 10 प्रतिशत तक फूल निकल जाए, तो किसानों को उस समय प्रति 3 लीटर पानी में 1 ग्राम थियामेथोक्सम को घोलकर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए. इसके 15 दिनों बाद किसानों को अन्य रोगों से फसल को सुरक्षित रखने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या क्युनालफॉस का छिड़काव करना चाहिए.
4. कटुआ कीट
कटुआ कीट भिंडी की फसल में लगने के बाद काफी तेजी से इसे नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीट लगने के बाद भिंडी के पौधे के तने को काटने लग जाता है और पौधा टूटकर गिरने लग जाता है. ऐसे में किसान इस कीट को नियंत्रण में करने के लिए मिट्टी में मिलाने वाले कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं. किसान भिंडी की फसल को कटुआ कीट से नियंत्रण के लिए प्रकि एकड़ में 10 किलोग्राम के हिसाब से थाइमेट-1 जी और कार्बोफ्यूरान 3जी को मिट्टी में मिला देना है.
कब करें कटाई
किसानो को भिंडी की फसल में इन सभी कीटनाशकों का छिड़काव करने के बाद हार्वेस्टिंग में सावधानी बरतनी चाहिए. भिंडी की फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करने के लगभग 5 से 7 दिनों बाद ही भिंडी की कटाई करनी चाहिए. ऐसा करने से दवा का असर कम हो जाता है और मानव स्वास्थ्य को भी कोई नुकसान नहीं होता है.