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Updated on: 9 November, 2019 5:31 PM IST

चिरायता (Swertia chirata) एक औषधीय पौधा है, जोकि ऊँचाई पर पाया जाता है. यह एकवर्षीय/द्विवर्षीय सीधा, बहुशाखित और 1.5 मीटर लंबा कड़वा पौधा है। इसका तना नीचे से बेलनाकार तथा चार कोणीय धर्वमुखी  ऊर्ध्वमुखी होता है. इसकी पत्तियां चौड़ी, भालाकार की, विपरीत और स्थानबद्ध होती है. यह 1200 से 1300 मीटर (समुद्र तल से ) की ऊँचाई पर समशीतोष्ण क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि करता है. सिंचाई सुविधा से युक्त दोमट से रेतीली मिट्टी तथा खाद से समृद्ध सुखी मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयोगी मानी जाती है.

उगाने की पूरी सामग्री

 पतझड़ के मौसम में संग्रहीत बीज इसको उगाने के लिए प्रयोग में लाए जाते है.

नर्सरी तकनीक

पौध तैयार करना

चिरायता के बीजों को 10  से 15 सेमी की दूरी पर कतारों में प्रत्यारोपित करते है ताकि बीज ठीक से अंकुरित हो सकें। नर्सरी  में अक्टूबर महीने में 25 - 28 दिनों में पौध तैयार हो जाती है.

पौध दर और पूर्व उपचार

1  हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 200 ग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ती है. 90 प्रतिशत बीज अंकुरण के लिए 15 दिनों तक 3 डिग्री सेल्सियस तापमान या उससे कम तक बीजों को ठंडा किया जाता है.   

खेत में रोपण

भूमि की तैयारी और उर्वरक प्रयोग 

भूमि को 2  से 3  बार हैरो से जोताई करके समतल किया जाता है. केंचुआ खाद को 3.75 टन प्रति हेक्टेयर की दर से और वन की घास - फूंस की खाद को 2 टन प्रति हेक्टेयर की दर  से मिट्टी में मिलाया जाता है.

पौधा रोपण तथा अनुकूल दूरी

मार्च -अप्रैल माह के दौरान 45 सेमी * 45 सेमी की दूर पर बीजों को ठीक प्रकार से प्रत्यारोपित करते है.प्रति   हेक्टेयर लगभग 50, 000 पौधों को खेत में प्रत्यारोपित करते है.

प्रति हेक्टेयर लगभग 50, 000 पौधों को खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है.

अंतर फसल प्रणाली

इस पौधे को आलू  के साथ भी उगाया जा सकता है. खुले खाते में आलू को उठी हुई परतों में उगाया जा सकता है जबकि चिरायता को किवी औरचार्ड  के निचले भाग में उगाया जा सकता है.  

संवर्धन विधि और रख - रखाव पद्धतियां

पौधे को खरपतवार और घास से भी मुक्त रखा जाता है.

सिंचाई

विशेष रूप से वर्षा ऋतू  में ,खेत के चारों  ओर नालियों की उचित  तरीके से खुदाई करते हुए, सिंचाई प्रणाली सुनिश्चित की जनि चाहिए। जब भी इसकी जरूरत हो तो गर्मी और सर्दी वाले दिनों के दौरान एक दिन छोड़ कर खेती की सिंचाई की जानी चाहिए।

निराई 

मिट्टी को नरम और साफ़ बनाने के लिए महीने में एक बार कुदाली के साथ हाथों से निराई करनी चाहिए.

फसल प्रबंधन 

फसल पकना और कटाई 

जैसे ही गर्मी में अथवा अक्तूबर – नवम्बर माह में कैप्सूल (फल) पकता है  वैसे ही सारे पौधों को इकट्ठा कर लिया जाता है.

कटाई पश्चात प्रबंधन

सूखे हुए बीजों को हवा बंद डिब्बों या जूट के बैंगों में भंडारित किया जाता है. पौधों को छायादार स्थान पर सुखना चाहिए और फिर उनका बंद डिब्बों में संग्रहण करना चाहिए

पैदावार 

दो वर्षों में लगभग 3.75 टन / हेक्टेयर सूखी घास -पात के रूप में पैदावार होने का अनुमान है.

इस पर सब्सिडी 

इसकी खेती करने वाले किसानों को राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की और से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है.

पौधशालाओं और कृषि हेतु सहायता के मानदंड

 



अनुमानित लागत

देय सहायता

पौधशाला

 

 

पौध रोपण सामग्री का उत्पादन

 

 

क) सार्वजनिक क्षेत्र

 

 

1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर )

 25 लाख रूपए

अधिकतम 25 लाख रूपए

2) लघु पौधशाला  (1 हेक्टेयर )

6.25 लाख रूपए

अधिकतम 6.25 लाख रूपए

ख) निजी क्षेत्र (प्रारम्भ में प्रयोगिक आधार पर )

 

 

1) आदर्श पौधशाला  (4 हेक्टेयर)

25 लाख रूपए

लागत का 50 प्रतिशत परंतु 12.50 लाख रूपए तक सीमित                      

2) लघु पौधशाला  (1 हेक्टेयर )

6.25 लाख रूपए

लागत का 50 प्रतिशत परंतु 3.125 लाख रूपए तक सीमित

 

English Summary: Beneficial cultivation of chirata (Swertia perennis)
Published on: 09 November 2019, 05:37 PM IST

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