मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 24 September, 2020 5:44 PM IST

जौ का उपयोग मांगलिक कार्यों के अलावा कई प्रकार फायबर फूड, पशु आहार और ड्रिंक्स में होता है. पिछले कुछ से जौ की मांग देश में काफी बढ़ गई है. जिसका सीधा फायदा किसानों को हो रहा है. किसान जौ की पैदावार करके अच्छा मुनाफा कमा सकता है. रबी के सीजन में जौ की बुवाई की जाती है. यह देश के कई राज्यों में होती है. इन राज्यों में प्रमुख हैं-राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और जम्मू-कश्मीर. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में जौ की खेती का रकबा 8 लाख हेक्टेयर है, जिससे तक़रीबन 16 लाख टन जौ का उत्पादन होता है. 

जौ का उपयोग

जौ एक उपयोगी फसल है, जिससे कई उत्पाद बनते हैं. औद्योगिक उपयोग की बात करें तो जौ से बीयर, पेपर, फाइबर पेपर, पेपर, फाइबर बोर्ड जैसे अनेक उत्पाद बनते हैं. इसके अलावा जौ का उपयोग पशु आहार के रूप में भी किया जाता है. 

उन्नत किस्में

कम उर्वरा और क्षारीय, लवणीय भूमियों में जौ की अच्छी पैदावार होती है. इसकी उन्नत किस्मों की बात करें तो आज़ाद, ज्योति, K-15, हरीतिमा, प्रीति, जागृति, लखन, मंजुला, नरेंद्र जौ-1,2 और 3, के-603, एनडीबी-1173 प्रमुख हैं.

कब करें बुवाई 

जौ की बुवाई पलेवा करके की जाती है. समय पर यदि बुवाई करते हैं तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22.5 सेंटीमीटर रखी जाती है. लेकिन बुवाई में देरी होने पर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 सेंटीमीटर रखना चाहिए. प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है. जौ की बुवाई का सही समय नवम्बर का पहला सप्ताह होता है. हालांकि दिसंबर मध्य तक इसकी बुवाई की जा सकती है. ध्यान रहे देरी से बुवाई करने पर बीज की मात्रा में 25 प्रतिशत का इजाफा कर देना चाहिए.

 बीजोपचार और खेत की तैयारी

बुवाई से पहले बीज को अनुशंसित कीटनाशक से बीज का शोधन कर लेना चाहिए. इससे कीट और बीमारियों के प्रकोप से बचाया जा सकता है. वहीं अच्छी पैदावार के लिए अच्छे बीज का उपयोग करना चाहिए. जौ की बुवाई के लिए बलुई, बलुई दोमट या दोमट मिटटी उत्तम है. बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए. इसके लिए खेत से खरपतवार की अच्छे से सफाई कर दें. खेत में पाटा या रोटीवेटर की सहायता से समतल कर लें. 

सिंचाई

जौ की अच्छी पैदावार के लिए समय समय पर सिंचाई जरुरी है. इसके लिए 4-5 सिंचाई पर्याप्त होती है. 25 से 30 दिन बाद पहली सिंचाई करना चाहिए. दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन के बाद की जाती है. फूल आने के बाद तीसरी और चौथी सिंचाई दाने के दूधिया होने पर करनी चाहिए.

English Summary: barley can be sown now farmers may be benefited from rising demand in the market
Published on: 24 September 2020, 05:46 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now