Azolla Farming: अजोला एक महत्वपूर्ण बहुगुणी पफर्न है, देश में इसका अधिकतर उपयोग पशुओं, मछली और कुक्कुट के चारें की पूर्ती करने के लिए किया जाता है. इसकी उपज लागत केवल 1 रुपये प्रति किलोग्राम है. अजोला तेजी से बढ़ने वाली एक तरह की जलीय पफर्न है, जो पानी की सतह पर अलग अलग छोटे समूह में तैरती रहती है. देश में इसकी मुख्य रूप से प्रजाति अजोला पिन्नाटा (Azolla Pinnata) पाई जाती है, जो गर्मी सहन करती है. इसकी पंखुड़ियों में एनाबिना नामक नील हरित काई के प्रजाति का एक सूक्ष्मजीव पाया जाता है, जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है. हरे खाद की तरह यह पफसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है.
5 से 6 दिनों में दोगुनी वृद्धि (Double increase in 5 to 6 days)
अनुकूल वातावरण में केवल 5 से 6 दिनों में ही अजोला की वृद्धि दोगुनी हो जोती है. यदि इसे पूरे साल लगाया जाए, तो 300 से 350 टन तक प्रति हैक्टर पैदावार को प्राप्त किया जा सकता है, जिससे लगभग 40 किलोग्राम तक नाइट्रोजन प्रति हैक्टर प्राप्त होता है. बता दें, इसमें 3.3 से 3.5 प्रतिशत नाइट्रोजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं और भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाते हैं. किसानों के लिए कम कीमत में बेहतर जैविक खाद प्राप्त करने के लिए अजोला काफी अच्छा विकल्प हो सकता है. आइये इस पोस्ट में अजोला का उपयोग और लाभ के बारे में जानते हैं.
अजोला का उपयोग (Uses of Azolla)
किसान जैविक हरी खाद के रूप में अजोला का अपयोग धान के खेतों में सुगमता से कर सकते हैं. इसका खेतों में इस्तेमाल करने के लिए 2 से 4 इंच पानी से भरे खेत में 10 टन ताजा अजोला को रोर्पाइ के पूर्व डाल दिया जाता है. इसके अलावा अजोला के ऊपर 30 से 40 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट का छिड़काव भी कर दिया जाता है. इसकी अच्छी वृद्धि के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान को अनुकूल माना जाता है. धान के खेतों में भी अजोला छोटे मोटे खरपतवार को आसानी से दबाने में मदद करता है. यदि आप इसका धान की फसल में उपयोग करते हैं, तो 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि हो सकती है. इसके उपयोग से वायुमंडलीय कार्बनडाइऑक्साइड और नाइट्रोजन को क्रमश: कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में बदल सकता है.
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अजोला का लाभ (Benefits of Azolla)
इसके उपयोग से अपघटन के बाद फसल को नाइट्रोजन और मिट्टी में जैविक कार्बन सामग्री प्राप्त होती है. यह ऑक्सीजेनिक प्रकाश संश्लेषण में उत्पन्न ऑक्सीजन फसलों की जड़ प्रणाली और मिट्टी में उपलब्ध अन्य सूक्ष्मजीवों को श्वसन क्रिया में मदद करता है. इसका उपयोग धान के सिंचित खेत से वाष्पीकरण की दर को कम करता है. अजोला के साथ रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों (20 कि.ग्रा./ हैक्टर) की कमी को पूरा कर सकता है. अजोला फसल की उपज और गुणवत्ता की वृद्धि करता है और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की क्षमता को बढ़ाता है. यह क्यारी से हटाया गया पानी सब्जियों की खेती के लिए वृद्धि नियामक का कार्य करता है. अजोला का उपयोग सब्जियों और फूलों के उत्पादन की वृद्धि में भी योगदान देता है.
पशु के लिए पौष्टिक चारा (Nutritious Fodder For Animals)
पशु के आहार के लिए अजोला सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक चारा है, इसे खिलाने से वसा व वसारहित पदार्थ सामान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध में अधिक पाई जाती है. पशुओं के मूत्र में अक्सर आने वाली रक्त की समस्या फॉस्फोरस की कमी से होती है, जिसे अजोला खिलाने के बाद इस कमी को दूर किया जा सकता है. अजोला का सेवन करने से पशुओं में कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन की आवश्यकता की पूर्ति होती है और पशुओं का शारीरिक विकास भी काफी अच्छा होता है. अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन (A तथा B-12) तथा बीटा-कैरोटीन एवं खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें शुष्क मात्रा के आधार पर 40 से 60 प्रतिशत, प्रोटीन 12 से 15 प्रतिशत, रेशा 10 से 15 प्रतिशत, खनिज 7 से 10 प्रतिशत, अमीनो अम्ल, सक्रिय पदार्थ और पॉलिमर्स आदि पाये जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है.
अरोजा की संरचना इसे अत्यंत पौष्टिक एवं असरकारक आदर्श पशु का चारा बनाती है. इसमें पाए जानें वाले उच्च प्रोटीन एवं निम्न लिग्निन तत्वों के कारण मवेशी इसे आसानी से पचा सकते हैं. यही नहीं अजोला को भेड़-बकरियों, शूकरों, खरगोश एवं बत्तखों के आहार के रूप में भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है. प्रति पशु 1.5 किलोग्राम अजोला नियमित रूप से दिया जा सकता है, जो पूरक पशु आहार का काम करता है.
दुधारू पशु के लिए लाभकारी (Beneficial For Milch Animals)
यदि दुधारू पशु को 1.5 से 2 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन दिया जाता है, तो दुग्ध उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत कर वृद्धि देखने को मिल सकती है. इसका सेवन करने वाली गाय और भैसों की दूध की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हो जाती है. अजोला गाय और भैंस के दूध में गाढ़ापन को भी बढ़ता है. यदि अजोला को गाय-भैंस और भेड़-बकरियों को खिलाया जाता है, तो इससे इनका उत्पादन और प्रजनन शक्ति क्षमता बढ़ जाती है.
कुक्कुट आहार (Poultry Feed)
अजोला मुर्गीपालन करने वाले किसानों के लिए बेहद लाभकारी चारा सिद्ध हो रहा है. इसका कुक्कुट आहार के रूप में उपयोग करने से ब्रॉयलर पक्षियों के भार और अण्डा उत्पादन में भी वृद्धि होती है. यदि प्रतिदिन मुर्गियों को 30 से 50 ग्राम अजोला खिलाया जाता है, तो इनके शारीरिक भार और अण्डा उत्पादन क्षमता में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है.
अजोला का अन्य उपयोग (Other Uses Of Azolla)
अजोला का उपयोग मछली पालन में भी महत्वपूर्ण आहार की भूमिका निभा सकता है. इसका जैविक खाद, मच्छर-प्रतिरोधी क्रीम, सलाद तैयार करने और बायो- स्क्वेंजर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
अजोला तैयार करने की विधि (Method of preparation of Azolla)
अजोला को तैयार करने के लिए आपको पहले किसी छायादार स्थान पर 60X10X2 मीटर के आकार का एक गड्ढा खोद लेना है. अब इस गड्ढे में 120 गेज की प्लास्टिक शीट को बिछाकर ऊपर के किनारों पर मिट्टी का लेप बना कर लगा देना है. आपको लगभग 80 से 100 किलोग्राम उपजाऊ मिट्टी की परत गड्ढे में बिछा देनी है. इसके बाद 5 से 7 किलोग्राम गोबर को 10 से 15 लीटर पानी में घोल बनाकर मिट्टी पर फैला देना है. अब इस गड्ढे में 10 से 15 सें.मी. (400 से 500 लीटर) तक पानी को भर देना है.
मिट्टी और गोबर के मिश्रण को जल में अच्छी तरह आपको मिला देना है, इसके मिश्रण पर 2 किलोग्राम ताजा अजोला को फैला देना है. इसके बाद पानी को अच्छी तरह से अजोला पर छिड़कें, जिससे यह अपनी सही स्थिति में आ सकें. गड्ढे को नायलॉन की जाली से ढककर 15 से 20 दिनों तक वृद्धि होने के लिए छोड़ दें. लगभग 21 दिनों के बाद 15 से 20 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्राप्त हो सकता है. प्रतिदिन इसी दर से उपज प्राप्त करने हेतु 20 ग्राम सुपर फॉस्फेट और 50 किलोग्राम गोबर का घोल बनाकर प्रति माह गड्ढे में मिला देना है.
अजोला की कटाई (Azolla harvesting)
10 से 15 दिनों के अंदर ही गड्ढा अजोला से भर जाता है. इससे आप रोजाना 500 से 600 ग्राम अजोला काट सकते हैं. कटाने के बाद अजोला में से गोबर की गंध को हटाने के लिए ताजे पानी से धोना लेना चाहिए.