Azolla Grass Farming: अजोला घास को पशुओं के लिए एक पौष्टिक चारे के रुप में जाना जाता है. इसका उपयोग मुख्यत: सर्दियों में किया जाता है. अजोला एक तरह जलीय फर्न होता है, जो पानी की सतह पर उगता है और इसकी खेती हरी खाद के रूप में की जाती है, जो मिट्टी की उवर्रकता बढ़ाने में मदद करती है. इसके उत्पादन के लिए मिट्टी में लगातार नमी बनाए रखने की जरुरत होती है. आइये आज हम आपको इसकी खेती का तरीका और इससे होने वाले फायदे के बारे में बताते हैं.
अजोला की खेती
अजोला घास की खेती क्यारी के माध्यम से की जाती है. किसान किसी भी खाली छायादार जगह पर 60 फुट लंबी, 10 फीट चौड़ी और दो फीट गहरी क्यारी बना लें और इन क्यारियों में लगभग 130 गेज की सिलपुटिन शीट लगा दें.
मिट्टी
सिलपुटिन शीट लगाने के बाद आप क्यारी में करीब 150 किलो उपजाऊ मिट्टी बिछा दें और फिर 15 से 20 लीटर पानी में गोबर को मिलाकर घोल तैयार कर लें. अब क्यारी को करीब 500 लीटर पानी से भर दें और यह ध्यान रखें कि पानी की गहराई 12 से 15 सेंटीमीटर तक ही हो.
बुआई
अब आप घोल में अजोला के बीजों को कुछ दूरियों पर फैला दें और उस पर पानी का छिड़काव कर दें. अब क्यारियों को नायलॉन की जालियों से ढंककर 15 से 20 दिनों के लिए छोड़ दें. आपको एक महीने बाद 20 से 22 किलो अजोला के घास की फसल तैयार मिल जाएगी. आपको लगातार इस घास के उत्पादन के लिए सप्ताह में 45 से 50 किलोग्राम गोबर और 15-20 ग्राम सुपरफास्फेट के साथ घोल बनाकर क्यारियों में छिड़काव करना होगा.
पौष्टिक चारा अजोला का महत्व
दुधारू पशुओं को पूरे साल चारे की आवश्यकता होती है. ऐसे में अजोला की खेती करना किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है और इसके उत्पादन में लागत भी बेहद कम आती है. अजोला के उत्पादन में लागत 2 से 4 रुपए प्रति किलो तक की आती है. किसान अपनी किसी बंजर ज़मीन या खाली जगह और कम पानी की जगह में इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं.
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पशुओं के लिए लाभदायक चारा
अजोला में फास्फोरस, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है. इसके अलावा यह एमिनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन B-12, बीटा कैरोटीन, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम से भरपूर होता है. अजोला घास को पशुओं का ड्राइफ्रूट कहा जाता है. इसे आप गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी, सभी तरह के पशुओं को खिला सकते हैं. इसमें मौजूद 25 से 30 प्रतिशत प्रोट्रीन पशुओं की इम्युनिटी को मजबूत करता है.