जुलाई महीना खेती के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस समय ज्यादातर फसल पक जाती हैं. इसके अलावा, कीटनाशकों और खेती के प्रबंधन के लिए भी यह महीना बेहद खास होता है. जुलाई में टमाटर, शिमला मिर्च, ककड़ी, गाजर, बीट, मूली, फूलगोभी, ब्रोकोली, पालक जैसी सब्जियां तुड़ाई के लिए लगभग तैयार हो जाती हैं.
हालांकि, इस महीने में कीट और कीटाणुओं का प्रबंधन करना भी जरूरी होता है. दरअसल, जुलाई में बारिश और तापमान के साथ फसलों में बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में आज हम जुलाई के दौरान फसलों में लगने वाले आम रोग के बारे में बताने जा रहे हैं. तो आइए उनपर एक नजर डालें.
खस्ता फफूंदी
कृषि क्षेत्र के जानकार मोहन निगम बताते हैं कि क्षेत्र और उगाई जाने वाली विशिष्ट फसलों के आधार पर रोग अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन जुलाई महीने में खस्ता फफूंदी नाम का एक रोग फसलों में आम होता है. यह एक कवक रोग है जो खीरे, स्क्वैश, टमाटर, अंगूर और गुलाब सहित कई प्रकार की फसलों को प्रभावित करता है. यह पौधों की पत्तियों, तनों और फलों पर सफेद कोटिंग के रूप में दिखाई देता है. इससे पौधों का विकास रुक जाता है और उपज कम हो जाती है.
लेट ब्लाइट- लेट ब्लाइट एक विनाशकारी कवक रोग है. जो मुख्य रूप से टमाटर और आलू को प्रभावित करता है. यह आर्द्र परिस्थितियों में पनपता है और तेजी से फैल सकता है, जिससे पत्तियों, तनों और फलों पर भूरे रंग के घाव हो जाते हैं. संक्रमित पौधे एक खास तरह की पानी से लथपथ दिखाई देते हैं. इस रोग से पौधे जल्दी ही मर सकते हैं.
जंग- जंग एक कवक रोग है जो गेहूं, मक्का, सोयाबीन और फलियों सहित विभिन्न फसलों को प्रभावित करता है. यह पत्तियों, तनों और कभी-कभी फलों पर नारंगी या लाल-भूरे रंग की फुंसियों के रूप में दिखाई देता है. जंग पौधों को कमजोर कर सकती है और प्रकाश संश्लेषण को कम कर सकती है, जिससे अंततः पैदावार कम हो सकती है.
डाउनी फफूंदी- डाउनी फफूंदी कई प्रकार की फसलों को प्रभावित करती है, जिनमें खीरा, सलाद, पालक, अंगूर और विभिन्न अन्य पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं. यह ठंडे मौसम में पनपती है और पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले धब्बों के रूप में दिखाई देती है. इस रोग के कारण पत्तियां मुरझा सकती हैं, पीली पड़ सकती हैं और पत्तियां समय से पहले गिर सकती हैं.
फ्यूसेरियम विल्ट: फ्यूसेरियम विल्ट एक मिट्टी-जनित कवक रोग है जो टमाटर, आलू, खीरे और खरबूजे सहित कई फसलों को प्रभावित करता है. यह पत्तियों के मुरझाने, पीले पड़ने और भूरे होने का कारण बनता है. अंततः इससे पौधे खराब हो जाते हैं.
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट: बैक्टीरियल लीफ स्पॉट टमाटर, मिर्च, सलाद और बीन्स सहित विभिन्न पौधों को प्रभावित करता है. यह पत्तियों पर छोटे व गहरे घावों के रूप में दिखाई देता है. जो आपस में जुड़ सकते हैं. यह रोग पत्तियों के झड़ने का कारण बन सकते हैं. इस बीमारी से फल की गुणवत्ता व पैदावार में कमी आ सकती है.
ऐसे करें फसलों का बचाव
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फसलों के आस-पास स्वच्छता बनाए रखें. अवशेषों, बचे हुए पौधों और अविष्कारों को नष्ट करें, क्योंकि ये संक्रमण को बढ़ा सकते हैं. अपनी कृषि औजारों को साफ रखने के साथ संक्रमण मुक्त रखें.
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जलवायु और मौसम की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए फसल के लिए उचित जलवायु चयन करें. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई और ड्रेनेज को उचित ढंग से प्रबंधित करें.
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फसलों को उचित पोषण प्रदान करने के लिए सही मात्रा में खाद दें. इससे फसलें स्वस्थ बनी रहेंगी और साथ ही संक्रमण का खतरा भी कम रहेगा.
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फसलों के नियंत्रण के लिए नियमित रूप से संक्रमण की जांच करें. पत्तों, फलों और मूलों पर दागों, कीटाणुओं या अन्य लक्षणों को ध्यान से देखें. यदि कोई संकेत मिलता है, तो उसका प्रबंधन करें.
निष्कर्ष- यह स्टोरी जुलाई के दौरान फसलों में लगने वाले रोगों पर आधारित है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बीमारियां और उनकी गंभीरता क्षेत्र, मौसम की स्थिति और फसल प्रबंधन प्रथाओं के आधार पर भिन्न हो सकती हैं. यदि आपको अपनी फसलों में किसी बीमारी का संदेह है तो स्थानीय कृषि विस्तार सेवाओं या रोग विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं.