टमाटर का इस्तेमाल लगभग सभी लोग करते हैं. सब्जी के अलावा, टमाटर का उपयोग सलाद में भी किया जाता है. इसकी फसल सालभर की जाती है. टमाटर को मानव शरीर के लिए भी बहुत उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन सी जैसे तत्व मौजूद होते हैं.
अगर आप एक किसान हैं और टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आज हम आपके लिए टमाटर की एक ऐसी किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अधिक उपज देने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी भी है. इस किस्म की बुवाई करना किसानों के लिए काफी लाभकारी है. अगर किसान टमाटर की अच्छी फसल लेना है, तो इस उन्नत किस्म की बुवाई कर सकते हैं. इस किस्म का नाम अर्का रक्षक है. यह किस्म में रोग व कीट लगने का अंदेशा कम रहता है. बता दें कि टमाटर में तीन मुख्य रोग लगने का खतरा बना रहता है, जो नीचे लिखे गए हैं.
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पत्ती मोड़क विषाणु
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जीवाणुविक झुलसा
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अगेती अंगमारी
ध्यान दें कि टमाटर की फसल में केवल अंगमारी रोग ही 70 से 100 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए कृषि वैज्ञानिकों ने अपने हुनर से टमाटर की अर्का रक्षक किस्म विकसित की है, जिसमें रोगों से लड़ने की अच्छी क्षमता है, साथ ही कीटों का भी मुकाबला कर सकती है. बताया जाता है कि साल 2012-13 में मणिपुर के विष्णुपुर जिले के रहने वाले किसान टमाटर की फसल को लेकर काफी परेशान थे, क्योंकि उनके पास रोग प्रतिरोधी किस्म मौजूद नहीं थी.
इस कारण उपज भी कम हो रही थी. किसानों की यह समस्या कृषि वैज्ञानिकों तक पहुंचाई गई, तो उन्होंने टमाटर की अर्का रक्षक किस्म विकसित की और इससे किसानों को रूबरू कराया गया. आइए आपको इस किस्म के बारे में और अधिक जानकारी देते हैं.
काफी मशहूर है टमाटर की यह किस्म (This variety of tomato is quite famous)
इस किस्म को साल 2010 में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बैंगलोर के कृषि वैज्ञानिक डॉ.एटी सदाशिव ने विकसित किया है. बताया जाता है कि कृषि वैज्ञानिकों ने पहले करीब 230 किसानों को अर्का रक्षक किस्म के बारे में जानकारी दी. उन्होंने किसानों के बीच जाकर इसका प्रदर्शन भी किया और खेतों में जाकर परीक्षण भी.
किसान को मिली अच्छी उपज (Farmer got good yield)
कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले के देवस्थानदा होसहल्ली गांव में रहने वाले किसान चंद्रप्पा टमाटर, आलू, शिमला मिर्च, गाजर और अंगूर जैसी फसलों की खेती और बागवानी करते हैं. इन्हें खेती का अच्छा अनुभव है. मगर चंद्रप्पा ने टमाटर में लगातार रोगों के लगने से इसकी खेती करना बंद कर दिया था. इसके बाद गीष्म 2014 में उन्होंने अर्का रक्षक के करीब 3500 पौधे लगाया. उन्होंने रोपाई के 110 दिन बाद तुड़ाई करना शुरू कर दिया. उनका कहना है कि इस किस्म की फसल काफी अच्छी प्राप्त हुई.
कई देशों में है इस किस्म की मांग (There is a demand for this variety in many countries)
खास बात यह है कि टमाटर की अर्का रक्षक भारत की पहली त्रिगुणित रोग प्रतिरोधी किस्म है. त्रिगुणित का मतलब है कि तीन रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणुविक झुलसा और अगेती अंगमारी से रक्षा करने वाली किस्म.
टमाटर की अर्का रक्षक किस्म से उपज (Yield from Arka Rakshak variety of tomato)
इस किस्म का एक पौधा करीब 18 किलो टमाटर दे सकता है. इसकी आरंभिक उपज 75 से 80 टन प्रति हेक्टेयर रही. इसके फल गोल और बड़े होते हैं और इनका रंग गहरा लाल होता है. इसके साथ ही टमाटर का वजन 90 से 100 ग्राम तक होता है. इसके फल ठोस होते हैं, इसलिए इन्हें दूर-दराज के बाजार तक ले जाना आसान होता है. इसके अलावा, प्रसंस्करण के लिए अनुकूल माना गया है. खास बात यह है कि टमाटर की अर्का रक्षक किस्म की सफलता की वजह से कई देशों में इसके बीज की मांग होता है. इस मांग को पूरा करने के लिए बीज का बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है.
टमाटर की अर्का रक्षक किस्म की और अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण ने डॉ. एज़ाज़. ए. मलिक से बातचीत की, जो कि सब्जी फसलों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना बागवानी संकाय, जम्मू कश्मीर में वैज्ञानिक (सीनियर स्केल) और पीआई हैं. उन्होंने बताया कि यह किस्म किसानों के लिए काफी लाभकारी है. इस किस्म से दक्षिण के राज्यों जैसे, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के किसानों को लगभग 5 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई है. इसके अलावा, देश के कई राज्यों में इस किस्म की बुवाई की जा रही है.