Arbi Farming Tips: भारतीय किसान बड़े पैमाने पर कंद फसलों (Tuber Crops) का उत्पादन करते हैं, क्योंकि इन फसलों की मांग मार्केट में सालभर रहती है. वहीं कुछ किसान मौसम के अनुसार से भी कंद फसलों की खेती करते हैं. ऐसे ही कंद फसलों में से है एक अरबी भी है, जिसका भारत में सब्जी के साथ औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है. अरबी की फसल से मिलने वाले पत्ते, सब्जी और जड़ शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं.
आज हम आपको कृषि जागरण के इस आर्टिकल में बेहतर उपज के लिए अरबी की खेती कैसे करें इसकी जानकारी देने जा रहे हैं.
अरबी की खेती कब की जाती है?
अरबी की खेती को किसान खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में करते हैं. इस फसल की खेती गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में की जाती है. खरीफ सीजन में इसकी बुवाई जुलाई के आखिर तक की जाती है और इसकी फसल दिसंबर तक तैयार हो जाती है. वहीं रबी सीजन में किसान अरबी की बुवाई अक्टूबर माह में करते हैं, जिससे इसकी फसल अप्रैल-मई में तैयार हो जाती है. इसके अलावा, बरसात और गर्मी में अरबी के पौधे तेजी से विकसित होते हैं.
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बेहतर उपज के लिए अरबी की खेती
- अरबी की खेती करने से पहले आपको अपने खेतों की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए. जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाएं
- अच्छी उपज के लिए आपको जायद सीजन में फरवरी और खरीफ सीजन में जून के अंदर अरबी की खेती करनी चाहिए.
- इस फसल की बुवाई आपको लाइन में लगाकर करनी चाहिए, इसकी एक लाइन की दूसरी लाइन की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए
- बुवाई करते वक्त आपको इनके पौधों को भी दूर रखना चाहिए, इसके एक पौधे की दूसरे पौधे से लगभग 30 सेंटीमीटर दूरी होनी चाहिए
- अरबी की बुवाई के बाद आपको 5 से 6 दिन के बाद इसकी सिंचाई करनी चाहिए.
- बुवाई के बाद करीब 5 से 6 महीनें में ही इसकी फसल तैयार हो जाती है.
- इसकी एक हेक्टेयर में करीब 250 से 300 क्विंटल तक पैदावार हो जाती है, जिससे किसान अधिक मुनाफा कमा लेते हैं.
21-27 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत
अरबी की खेती को सामान्य तौर पर अफ्रीकन देशों में किया जाता है. इसकी खेती करने के लिए 21 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. अरबी में कई गुण पाए जाते हैं, जिसमें विटामिन ए, कैल्शियम और आयरन समेत कई पोषक तत्व होते हैं. इस सब्जी का आहार के रुप में भी अधिकतर लोग सेवन करना पंसद करते हैं. वहीं गर्मियों में अरबी की काफी अच्छी मांग देखने को मिलती है.