भारत में विभिन्न जलवायु के हिसाब से फसल उगाई जाती है. भारत में 3 सीजनों में खेती की जाती है, रबी सीजन, खरीफ सीजन और जायद सीजन. मगर मुख्य अनाज और फसलें रबी और खरीफ सीजन के दौरान ही उगाई जाती हैं. अप्रैल महीना जायद का सीजन होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जाती है. बसंत ऋतु में जब किसान अगेती फसल की कटाई का काम पूरा कर लेते हैं, तो खरीफ की बुवाई से पहले मूंग, मूंगफली, मक्का, अरहर, कपास, लोभिया आदि की खेती कर सकते हैं. क्योंकि इन फसलों को तैयार होने में बहुत ही कम समय लगता है. आज इस लेख में हम अप्रैल महीने में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों की जानकारी देने जा रहे हैं...
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मूंग और उड़द की खेती
किसान भाई अप्रैल महीने के दौरान अपने खाली पड़े खेत में मूंग की 338 किस्म व उड़द (मास) की टी 9 किस्म की खेती कर सकते हैं. बता दें कि मूंग की बुवाई के 67 दिनों बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है, वहीं मास 90 दिनों में पक जाते हैं. खास बात यह कि इन किस्मों की बुवाई से किसानों को 3-4 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज प्राप्त हो जाती है.
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मूंगफली की खेती
मूंगफली की M 722 और SG 84 किस्मों की अप्रैल के अंतिम सप्ताह में बुवाई करनी चाहिए. यदि आप गेहूं की कटाई के तुरंत बाद मूंगफली की इन किस्मों की बुवाई करने से किसानों को अगस्त के अंत तक मूंगफली की अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है. इसके बाद किसान उस खेत में धान की पछेती किस्म की बुवाई कर सकते हैं.
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साठी मक्का और बेबी कार्न
साठी मक्का की पंजाब साठी-1 किस्म गर्मी के प्रति सहनशील है. साथ ही यह किस्म 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसके साथ ही मीठा भुट्टा या स्वीट कॉर्न की कम्पोजिट केसरी और संकर प्रकाश किस्म अप्रैल महीने में बोने के लिए उपयुक्त है. बुवाई के महज 60 दिनों में इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है.
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गन्ने की बुवाई
किसान भाई अप्रैल महीने के दौरान गन्ने की COH -37 किस्म काफी उपयोगी है. किसानों को इस गन्ने की बुवाई दवि-पंक्ति विधि से करनी चाहिए.
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चौलाई की खेती
चौलाई की खेती के लिए अप्रैल महीना बेहतरीन साबित हो सकता है. किसानों को चौलाई की पूसा किरण और पूसा किर्ति की बुवाई करनी चाहिए. महज कुछ ही महीनों में किसानों को इससे अच्छा उत्पादन मिल सकता है.