अनार (Pomegranate) भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फल फसल है. इसकी उत्पत्ति ईरान (Iran) में हुई थी, और बड़े पैमाने पर अनार की खेती (Pomegranate Farming) स्पेन, मोरक्को, मिस्र, ईरान, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान जैसे भूमध्यसागरीय देशों में की जाती है. खास बात यह है कि अनार की खेती में भारत का विश्व में प्रथम स्थान (Pomegranate Largest Growing Country) है. भारत में प्रमुख अनार उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु राजस्थान हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र (Maharashtra) 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के साथ 9.45 लाख टन वार्षिक उत्पादन और 10.5 मिलियन टन/हेक्टेयर उत्पादकता के साथ अनार की खेती में प्रथम स्थान पर है. महाराष्ट्र राज्य में भारत के कुल क्षेत्रफल का 78 प्रतिशत और कुल उत्पादन का 84 प्रतिशत हिस्सा है.
अनार की खेती के लिए आवश्यक जलवायु (Climate Required for Pomegranate Cultivation)
सामान्य तौर पर, अनार वृद्धि के लिए शुष्क जलवायु (Dry Climate) पसंद करते हैं. फलों के विकास और पकने के चरणों के दौरान इसे गर्म और शुष्क जलवायु परिस्थितियों की आवश्यकता होती है. इसे गर्मियों में गर्म और शुष्क मौसम और सर्दियों के दौरान ठंडे और शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है.
हालांकि, यह ठंड बर्दाश्त नहीं कर सकता है. अगर इसे ठंड इलाकों में उगाया जाता है, तो यह अच्छी तरह से विकसित नहीं होता है या फूल आते ही नष्ट हो जाता है.
अनार की खेती का महीना (Pomegranate Cultivation Month)
अनार उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (Sub-tropical Regions) में फरवरी-मार्च महीनों के दौरान लगाए जाते हैं. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अनार की खेती जुलाई-अगस्त के महीनों में भी की जाती है. इसकी एयर लेयरिंग आमतौर पर बारिश के मौसम में और नवंबर-दिसंबर महीनों के दौरान की जाती है.
अनार की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Pomegranate Cultivation)
हालांकि अनार विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छी मिट्टी गहरी, भारी दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी क्षमता वाली मिट्टी है. यह कुछ हद तक क्षारीयता और लवणता को सहन कर सकता है. साथ ही मिट्टी में नमी की उपस्थिति से फलों में दरारें पड़ जाती हैं और उपज कम हो जाती है.
अनार की खेती की सिंचाई (Irrigation of Pomegranate Cultivation)
अनार के मामले में जलवायु और पौधों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पानी दिया जाता है. इनकी नियमित रूप से मानसून आने तक सिंचाई की जाती है. बता दें कि सर्दियों के दौरान 2 सप्ताह में एक बार और गर्मियों के दौरान साप्ताहिक आधार पर सिंचाई की जानी चाहिए.
ड्रिप सिंचाई तकनीक से करें अनार की खेती (Cultivate Pomegranate with Drip Irrigation Technology)
ड्रिप सिंचाई खेती में सिंचाई का सबसे पसंदीदा तरीका है, क्योंकि इससे 44% पानी बचाने में मदद मिलती है. ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) के माध्यम से वार्षिक औसत पानी की आवश्यकता 20 सेमी है. इसके अलावा उपज में 30-35% की वृद्धि होती है.