इंसान के साथ पेड़ पौधों को भी अच्छे पोषक तत्व की आवश्यकता होती है. जलीय फर्न अजोला को पोषक तत्वों की खान कहा जाता है. दरअसल, अजोला एक उच्च पोषक मान वाला जलीय फर्न है जिसकी पत्तियों में नील हरित शैवाल पाया जाता है. अपने पोषक गुणों के कारण अजोला पशुओं के चारे का उत्तम विकल्प माना जाता है. अजोला कम समय और कम लागत में तैयार होने वाला हरा चारा है. इसको तैयार करने में अलग से जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है. तो आइए जानते हैं अजोला कैसे उपयोगी है?
8 से 15 प्रतिशत दूध की वृद्धि
अजोला दुधारू पशुओं के लिए काफी उपयोगी होता है. इसे पशुपालक अपने आंगन में भी उगा सकते हैं. इसमें प्रोटीन के साथ पाचन तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. अजोला किसानों के लिए काफी फायदेमंद होता है. फसल उत्पादन के साथ अजोला पशुपालन में भी लाभदायक है. आजकल पोषक तत्वों के अभाव में पशुओं में कमजोरी की समस्या आम है. पशुओं को स्वस्थ्य रखने के लिए पशुपालक कई तरह के दानों का इंतजाम करते हैं. ऐसे में अजोला पशुओं के लिए एक संपूर्ण आहार हो सकता है. गेहूं या अन्य प्रकार के भूसे में एक एक किलो अजोला सुबह शाम दुधारू पशुओं को खिलाने से दूध में 8 से 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है. बकरी, सुअर पालन और मुर्गी पालन करने वाले किसान के लिए भी अजोला चारे का एक बेहतर विकल्प हो सकता है. पशुपालकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अजोला को सीधे छानकर नहीं खिलाना चाहिए. गड्ढे से निकालने के बाद अजोला को तीन चार बार साफ पानी से धोएं. इसके बाद ही अजोला को पशु आहार के रूप में उपयोग में लाएं.
कैसे उगाएं अजोला
अजोला के उत्पादन के लिए सबसे पहले एक होद का निर्माण कर लें. अजोला के उत्पादन के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान उत्तम माना जाता है. अजोला उत्पादन के लिए मिट्टी और पानी का पीएचमान 5 से 7 होना चाहिए. सबसे पहले 10 इंच ऊंचाई और 2.5 मीटर लंबा और 1.5 मीटर चौड़ाई वाली ईंट की क्यारी बना लें. उसमें सामान्य काली पन्नी बिछा लें. पन्नी को अच्छी तरह से ईंट से दबा दें. अब इसमें उपजाऊ मिट्टी की 3 ईंच ऊँची बरत बिछा दें. सबसे पहले मिट्टी में कंकड़ और पत्थरों को अलग कर दे. अब इसमें 5 से 10 सेंटीमीटर ऊंचाई तक पानी डाले. मिट्टी में पानी डालने के बाद इस पर झाग जमा हो जाता है जिसे छलनी की मदद से बाहर निकाल दें. अजोला के अधिक उत्पादन के लिए इसमें खाद एवं उर्वरक डाले. बता दें कि इसमें गोबर खाद न डाले क्योंकि कई बार पशु गोबर की दुर्गंध की वजह से अजोला नहीं खाते हैं. इसके लिए 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 250 ग्राम पोटाश डालें. 750 ग्राम मैग्नेशियम सल्फेट का मिश्रण तैयार कर लें. इसके बाद तैयार मिश्रण का दस से बारह ग्राम एसएसपी प्रति वर्ग मीटर की दर से एक सप्ताह के अंतराल पर डालना चाहिए.
वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण में भी फायदेमंद
इसके अलावा अजोला का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण में किया जा सकता है. वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के समय गोबर में अजोला मिलाने से केंचुआ की संख्या और वजन दोनों ही बढ़ जाते हैं. वर्मी कम्पोस्ट में अजोला का प्रयोग करने से इसका पोषक मान और भी बढ़ जाता है. इसके लिए 8 फीट लंबाई और 5 चौड़ाई वाला गड्ढा बना लें. इसमें प्लास्टिक बिछा दें. इसके बाद प्लास्टिक के ऊपर मिट्टी की सतह बनाए. इसके बाद 4 से 5 किलो गोबर को 20 से 25 लीटर पानी में मिलाए. अब बालू छलनी से इस घोल को छानकर गड्ढे में डाल दें. गड्ढें में गोबर डालने से अजोला में कीड़े लगने की संभावना रहती है. इसके लिए कार्बन फ्यूरान नामक दवा 2 से 2.5 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए. गोबर का घोल डालने के बाद गड्ढे में दस सेंटीमीटर ऊंचाई तक पानी भर दें. अब इसमें अजोला डाल सकते हैं. अब इसकी हल्की परत पर पानी का छिड़काव कर दें. 21 दिनों में ही आपके गड्ढें में अजोला की हरी हरी परत तैयार हो जाएगी.
धान की फसल के लिए फायदेमंद
धान की खेती के लिए अजोला का उपयोग करना बेहद लाभदायक होता है. अजोला को अन्य उर्वरक के साथ मिलाकर धान की खेती में डाला जाता है. इससे रासायनिक खाद की आधी बचत हो सकती है. अजोला डालने से प्रति हेक्टेयर 2000 हजार रूपये की बचत हो सकती है. धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद अजोला का उपयोग करने से इसकी पैदावार में इजाफा होता है.