मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हाल ही में पशुपालकों को दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया है. इस दौरान वैज्ञानिकों ने पशुपालकों को अपने दुधारू पशुओं को अजोला खिलाने की सलाह दी है. पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद शर्मा ने बताया कि अजोला खिलाने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है. उन्होंने कहा कि पहले पशुओं को अजोला खिलाने की आदत डालने के लिए हरा अजोला खिलाया जाता है. जिसके बाद इसे सूखे चारे के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाया जाता है.
क्या है अजोला?
यह एक जलीय फर्न है जो कि तेजी से बढ़ता है. यह आपने तालाबों या कुओं में जलीय सतह पर देखी होगी. हरी खाद के तौर पर उपयोगी अजोला कई बार प्राकृतिक रूप से उग आती है. इसमें बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन पाया जाता है. भारत में अजोला उष्ण व गर्म उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है. यह मिट्टी की उर्वरक क्षमता में इजाफा करता है. इसमें हायब्रिड नेपियर की तुलना में 4 से 5 गुना अधिक प्रोटीन उपलब्ध होता है. अपने विशिष्ट गुणों के कारण अजोला को हरा सोना या पशुओं का च्वनप्राश कहा जाता है.
यह पशुओं के लिए क्यों फायदेमंद हैं?
यह एक सुपाच्य, सस्ता एवं पौष्टिक पशु आहार है जो पशुओं में विभिन्न पोषक तत्वों की पूर्ति करता है. अजोला को खिलाने से पशुओं का बांझपन दूर होता है वहीं, इसमें आयरन, फास्फोरस और कैल्शियम तत्व पाए जाते हैं जो पशुओं को शारीरिक रूप से मजबूती देता है.
प्रमुख खनिज तत्व
जिन पशुओं को पेशाब में खून आने की समस्या है उन्हें अजोला खिलाना चाहिए. इसके अलावा अजोला में विटामिन, प्रोटीन, अमीनो एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं. इसमें पोटेशियम, कैल्शियम। फास्फोरस, कॉपर, आयरन तथा मैग्नेशियम जैसे खनिज तत्व भी बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं.