कृषि कार्य करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत जरुरी है कि वो किस माह में कौन - सा कृषि कार्य करें. क्योंकि मौसम कृषि कार्य को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो अलग- अलग सीजन में अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें। इस समय खरीफ का सीजन समाप्त होने के कगार पर है और किसान खरीफ के फसल की खेती करनी की तैयारी शुरू कर दिए है. ऐसे में आइये जानते है कि अगस्त माह में किसान कौन -सा कृषि कार्य करें-
धान
-गैर बासमती धान की रोपाई के 25 -30 दिन बाद, अधिक उपज वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा नाइट्रोजन तथा सुगन्धित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 15 किग्रा नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग कर दे.
-दूसरी व अंतिम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 50 -55 दिन बाद करें.
-टॉप ड्रेसिंग करते समय 2 -3 सेमी से अधिक पानी हो.
-धान के तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा कार्बोफ्यूरान दवा, खेत में 4.5 सेमी पानी होने पर प्रयोग करें अथवा क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
-खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रतिहेक्टेयर 5 किग्रा.. जिंक सल्फेट तथा 2.5 किग्रा. चूना या 20 किग्रा. यूरिया को 1000 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें.
मूंग/उर्द
-खेत में निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें.
-पीला मोजैक रोग की रोकथाम के लिए डाईमेथोएट 30ई.सी. अथवा मिथाइल-ओ-डिमेटान 25 ई.सी. की एक लीटर मात्रा को 700-800 लीटर पानी में घोल कर आवश्यकतानुसार 10-15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करें.
सोयाबीन
-फसल की बोआई के 20-25 दिन बाद निराई कर खरपतवार निकाल दें. आवश्यकतानुसार दूसरी निराई भी बोआई के 40-45 दिन बाद करें.
-सोयाबीन पर पीला मोजैक बीमारी का विशेष प्रभाव पड़ता है. अतः इसकी रोकथाम के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. की एक लीटर मात्रा 700-800 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
मूंगफली
-मूंगफली में दूसरी निराई-गुड़ाई बुवाई के 35-40 दिन बाद करके साथ ही मिट्टी भी चढ़ा दें.
सूरजमुखी
-सूरजमुखी में बुवाई के 15-20 दिन बाद फालतू पौधों को निकालकर लाइन में पौधों की दूरी 20 सेंमी कर लेनी चाहिए.
-फसल में बुवाई के 40-45 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई के साथ ही 15-20 सेंमी मिट्टी चढ़ा दें
बाजरा
बाजरे की बुवाई के 15 दिन बाद, कमजोर पौधों को निकालकर लाइन में पौधों की आपस में दूरी 10-15 सेंमी तक कर लेनी चाहिए.
बाजरे की उछ उत्पादन वाली प्रजातियों में नाइट्रोजन की शेष आधी अर्थात प्रति हेक्टेयर 40-50 किग्रा मात्रा (87-108 किग्रा यूरिया ) की टॉप ड्रेसिंग कर दें .
अरहर
अरहर के खेत में निराई – गुड़ाई करके खर्पत्वर निकाल दें.
इस समय अरहर में उकठा रोग, फाइटोफ्थोरा, अंगमारी तथा पादप बोझ रोग होता है. 2.5 मिली / ली की दर से डाइकोफॉल एवं 1.7 मिली/ लीटर की दर से डाइमेथोएट का पौधों पर छिड़काव करें.
बागवानी कार्य
सब्जियां
गोभी की पूसा शरद, पूसा हाइब्रिड -2 प्रजाति की नर्सरी तैयार करें.
अगेती गाजर जैसे पूसा वृष्टि प्रजाति की बुवाई प्रारम्भ करें.
कद्दू वर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर उस पर बेल चढ़ाने से उपज में वृद्धि होगी व स्वस्थ्य फल बनेंगे.
बैंगन में थिरम (3 ग्राम ) या कैप्टान (3 ग्राम ) या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम /किग्रा की दर से बीज उपचारित करके फोमोप्सिस अंगमारी तथा फल विगलन की रोकथाम करें.
फल वाली फसलें
- तराई क्षेत्रों में आम के पौधों पर गांठ बनाने वाले कीड़ों (गॉल मेकर ) की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफोस (0.5 प्रतिशत ) या डाइमेथोएट (0.06 प्रतिशत) दवा का छिड़काव करें.
- आम के पौधों पर लाल रतुआ एवं श्यामवर्ण (एन्थ्रोक्नोज ) की बीमारी पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (0.3 प्रतिशत ) दवा का छिड़काव करें.
- नींबू वर्गीय फलों में रस चूसने वाले कीड़े आने पर मेलाथियान (2 मिली/ लीटर पानी) का छिड़काव करें.
- पपीता के पौधों पर सूक्षम तत्वों के घोल ( 2.5 मिलि./ लीटर पानी में) का फूल आने के समय उपयोग करें.