धान की खेती दुनियभार में बड़े पैमाने पर की जाती है और यह पूरे विश्व में पैदा होने वाली प्रमुख फसलों में से एक है. भोजन के रुप में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला चावल इसी से प्राप्त किया जाता है. खाद्य के रूप में अगर बात करें तो यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अधिकांश देशों में मुख्य खाद्य है.
धान
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धान की मध्यम व देर से पकने वाली क़िस्मों की रोपाई माह के प्रथम पखवाड़े में पूरा कर लें.
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शीघ्र पकने वाली क़िस्मों की रोपाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक की जा सकती है.
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यदि हरी खाद का प्रयोग करना हो तो बुवाई के तीन दिन पूर्व ही उसे मिट्टी पलटने वाले हल से पलटकर, सड़ने के लिए खेत में पानी भर दें.
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भूमि में उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें.
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धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के 3-4 दिन के अन्दर अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव करें.
ज्वार
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ज्वार की बुवाई माह के प्रथम पखवाड़े तक पूरी कर लें.
बाजरा
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बाजरा की बुवाई 15 जुलाई के बाद पूरे माह की जा सकती है.
मूंग/उर्द/अरहर
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मूंग/उर्द/अरहर की फसल की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है.
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बुवाई से पूर्व अनुशंसित कीटनाशक से अवश्य उपचारित करें.
सोयाबीन
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सोयाबीन की बुवाई के लिए माह का प्रथम पखवाडा सबसे अच्छा है.
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बुवाई से पूर्व सोयाबीन के बीज को अनुशंसित कीटनाशक से अवश्य उपचारित करें.
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खरपतवार के रासायनिक नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरन्त बाद अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें.
मूंगफली
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मूंगफली की बुवाई माह के प्रथम सप्ताह तक पूरी कर लें.
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बुवाई के 3 सप्ताह बाद निराई करके अनुशंसित खाद डालकर हल्की गुड़ाई कर दें.
गन्ना
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गन्ने की फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य इस माह पूरा कर लें.
सब्जियों की खेती
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बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई का सही समय है.
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खरीफ की प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई 10 जुलाई तक कर दें. प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज दर 12-15 किग्रा होगी.
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कद्दूवर्गीय सब्जियों में बुवाई के लगभग 25-30 दिन बाद पौधों के बढ़वार के समय अनुशंसित खाद का इस्तेमाल करें.
बागवानी कार्य
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आम, अमरूद, लीची, आँवला, कटहल, नींबू, जामुन, बेर, केला, पपीता के नये बाग लगाने का समय है.
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आम व लीची में रेडरस्ट तथा शूटी मोल्ड रोग की रोकथाम के लिए अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें.
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बेर में मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी. 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
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आँवले के बागों में एफिड्स की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 0.04 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें.
पशुधन प्रबंधन
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गलाघोंटू तथा बी.क्यू. का टीका लगवायें.
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पशुओं को पेट के कीड़े मारने की दवा पिलायें.
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पशुओं को बरसात से बचाव हेतु पूरा प्रबन्ध करें.
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फर्श तथा बिछावन को सूखा रखें.