बदलते समय के साथ किसान भी खेती और फसलों में बदलाव करते आए हैं. आज के समय की बात करें तो किसान अधिक आय के लिए खेती में नए-नए प्रयोग कर खुद को आजमा रहे हैं. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि उनकी फसल अन्य किसानों से बेहतर और उच्च श्रेणी की होती है. जो न सिर्फ उन्हें बल्कि दूसरे किसानों को भी प्रेरित करती है.
इसके लिए किसानों द्वारा अलग-अलग तरह की फसलों के लिए नई किस्मों की खेती की जा रही है. ऐसे ही देश में उत्पादन होने वाली सबसे मुख्य फसल गेहूं एवं धान के साथ भी बदलाव हो रहा है. आपको जानकर यह बहुत ख़ुशी होगी कि यह बदलाव एक सकरात्मत दिशा ले रहा है. आजकल किसानों के बीच काले गेहूं एवं काले धान की खेती के प्रति झुकाव काफी बढ़ गया है. बात अगर देश में गेहूं के किस्मों की करें तो कई किस्में मौजूद हैं. इसमें से कुछ किस्म रोग प्रतिरोधक हैं तो कुछ ज्यादा उत्पादन देने वाली हैं.
वहीं स्वाद के मामले में भी कुछ किस्में मिलती हैं, लेकिन देखने में सभी के बीज एक जैसे ही रहते हैं. परन्तु हाल ही में विकसित काले गेहूं की किस्म ने सभी किसानों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है. हाल ही में कई किसानों ने सामान्य गेहूं की खेती छोड़ काले गेहूं की खेती की शुरुआत की है.
इस गेहूं का उत्पादन और खेती करने का तरीका दोनों ही सामान्य गेहूं की तरह होता है. लेकिन इसमें औषधीय गुण अधिक होने के कारण बाजार में इस गेहूं की मांग अधिक है, जिसको लेकर अधिकतर किसानों का झुकाव इस तरफ होता जा रहा है.
काले गेहूं से होने वाले फायदे
सामान्य गेहूं की तुलना में अगर काले गेहूं की बात करें, तो यह दिखने में काला या बैगनी (purple) रंग का होता है, वहीं इसके गुण सामान्य गेहूं की तुलना में अधिक होते हैं. एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण इनका रंग काला होता है. साधारण गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है.
यह गेहूं कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर है इसमें एंथ्रोसाइनीन जोकि एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है. काले गेहूं की अगर बात करें तो इसमें हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता होती है.
स्वाद सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग पाया गया है. काले गेहूं की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों का झुकाव अब सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं के प्रति बढ़ता ही जा रहा है. बाजारों में गेहूं की मांग काफी अधिक है और पिछले कुछ समय से इसका निर्यात भी काफी बढ़ा है. इससे किसानों का ध्यान अब काले गेहूं की खेती पर ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में कई किसान काला गेहूं की खेती कर बंपर कमाई कर रहे हैं.
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कृषि अधिकारी मानते हैं कि ये गेहूं डायबिटीज वाले लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धीरे-धीरे काला गेहूं की फसल की बुवाई का रकबा बढ़ रहा है. वहीं वैज्ञानिकों की माने तो किसानों को काला गेहूं की बुवाई सीड ड्रिल जैसी आधुनिक तकनीक की मदद से करनी चाहिए. इससे उर्वरक और बीज की अच्छी बचत की जा सकती है. होने वाले उत्पादन की बात करें तो काले गेहूं की उत्पादन भी सामान्य गेहूं की तरह ही होता है. 10 से 12 क्विंटल प्रति एकर इसकी पैदावार होती है.
किसान बाजार से बीज खरीद कर बुवाई कर सकते हैं. काला गेहूं का बीज ख़रीदने के लिए आप निम्न पते पर संपर्क कर सकते हैं-
Inaway India
93552 11101
94164 08833