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Updated on: 26 October, 2020 2:25 PM IST
गेहूं की उन्नत किस्में

Wheat Varieties: राजस्थान राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं वातावरणीय विभिन्नता के कारण यहाँ फसलों की क़िस्मों में भी भेद देखने को मिलता है. अतः यहाँ की भौगोलिक परिस्थिति एवं वातावरणीय विभिन्नता की वजह से कुछ विशेष गेहूं की किस्मों की अनुशंसा की गई है जो राजस्थान के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. दरअसल, जिन गेहूं की उन्नत किस्मों की हम बता कर रहे हैं, वे किस्में प्रति हेक्टेयर लगभग 58 क्विंटल तक उपज देने में सक्षम है.  ऐसे में आइए गेहूं की इन उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं...

एच.डी. 2967

यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है. इसके पौधों की ऊंचाई 83 से 91 सेंटीमीटर होती है. यह किस्म पकने में 128 से 133 दिन लेती है. यह किस्म भारी भूमि में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है. इस के दाने सख्त एवं सुनहरे रंग के होते हैं. इस किस्म की औसत पैदावार 45 से 58 क्विंटल  प्रति हेक्टेयर होती है.         

जी.डब्ल्यू. 11

यह किस्म अधिक उष्ण सहनशील है जो कि बदलते जलवायु के परिपेक्ष में उपयुक्त है. इसकी औसत उपज 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जो सामान्य तौर पर कम पानी में औसत उपज दे देती है तथा पीछेती बुवाई के लिए भी उपयुक्त है.

राज मोल्या रोधक-1

गेहूं की यह 85 से 90 सेंटीमीटर ऊंचाई, सामान्य फुटान वाली मोल्या रोधक किस्म है. यह किस्म सामान्य बुवाई व सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है. सामान्य बुवाई में 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज होती है. इसके पकने का समय 125 से 135 दिन है. यह राजस्थान के मोल्या ग्रसित क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से विकसित की गई है.

राज 4083

यह किस्म राजस्थान के लिए उत्तम पाई गई है. इसके दाने उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं. यह किस्म सभी प्रकार के रोली (Rust) रोगों के लिए प्रतिरोधक है तथा उच्च ताप के प्रति अच्छी सहनशील रखती है. यह शीघ्र पकने वाली है. इसमें ग्लूटीन प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण रोटी बनाने के साथ-साथ बेकरी उद्योग के लिए भी उपयुक्त है. इसकी उपज 40 से 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.         

राज 4037

यह अधिक गर्म जलवायु को सहन करने की क्षमता रखती है. गेहूं की यह किस्म 72 से 75 सेंटीमीटर ऊंची, अधिक फुटान वाली व रोली (Rust) रोधक किस्म है. यह सामान्य बुवाई तथा सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है. इसका ताना मजबूत होता है जिसके कारण फसल आडी नहीं गिरती है. इसके पकने का समय 115 से 120 दिन है. इसकी उपज 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके दाने शरबती, आभायुक्त, सख्त एवं मध्यम आकार के होते हैं.   

राज 3777

यह किस्म समय से बुवाई करने के साथ-साथ देरी से बुआई करने के लिए भी उपयुक्त है. इसकी पत्तियां हल्की हरी एवं बालियाँ पकने पर मटमेली सफेद हो जाती है. इसकी पकाव अवधि 115 से 120 दिन है. यह किस्म समय पर बुआई करने पर 45 क्विंटल तक तथा देरी से बुआई करने पर 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है. यह किस्म सभी प्रकार की रोली (Rust) प्रतिरोधकता तथा ताप के प्रति अधिक सहनशील है.

राज 3765

यह देरी से बुआई के लिए और अधिक तापमान सहनशील किस्म है. इसकी बुवाई दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक भी की जा सकती है. इसमें फुटान अधिक, बालियाँ पकने पर सफेद, दाने शरबती चमक युक्त, सख्त व मध्यम आकार के होते हैं. यह तीनों प्रकार की रोली (Rust) रोग के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इसकी औसत उपज 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

राज 4238

यह किस्म 82 से 86 सेंटीमीटर ऊंची अधिक फुटान वाली, रोली (Rust) एवं करनाल बंट रोधक किस्म है. पौधे के तने मोटे एवं मजबूत होने के कारण यह किस्म आडी तिरछी नहीं गिरती है. दानें शरबती आभा युक्त व मध्यम आकार के होते हैं. यह पिछेती किस्म 115 से 120 दिन में पक कर 40 से 48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज दे सकती है.      

राज 4220

गेहूं की यह किस्म 80 से 94 सेंटीमीटर ऊंचाई, अधिक फुटाव वाली व रोली (Rust) रोधक किस्म है. यह सामान्य बुवाई एवं सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. मजबूत तने के कारण आडी तिरछी नहीं गिरती है. इसके पकने का समय 125 से 130 दिन है तथा इसकी उपज 48 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. इसके दाने शरबती आभायुक्त सुडौल एवं मध्यम आकार वाले होते है.  

पी.बी.डब्ल्यू. 590

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना से विकसित गेहूं की यह प्रजाति सिंचित क्षेत्रों में देरी से बुआई के लिए भी उपयुक्त है. इस किस्म की औसत ऊंचाई 80 सेंटीमीटर, पकाव अवधि 80 से 85 दिन तथा  औसत उपज 37 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पाई गई है.

के.आर.एल. 213

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित यह किस्म सामान्य एवं लवण प्रभावित मिट्टी में उगाने हेतु उपयुक्त है. इस किस्म औसत ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर होती है जो 145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज क्षमता सामान्य मृदा में 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा लवण प्रभावित क्षेत्रों में 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

के.आर.एल. 210

यह किस्म केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित की गई है. यह किस्म समय पर बुवाई के लिए तथा लवणीय मृदा में उगाने के लिए उपयुक्त है. इस फसल की पकाव अवधि 140 से 145 दिनों तक है जो सामान्य मृदा में 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं लवणीय मृदा में 30 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

English Summary: Advanced varieties of wheat and their characteristics for Rajasthan State
Published on: 26 October 2020, 02:32 PM IST

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