भारत को नारियल का सबसे बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है. फूड प्रोसेसिंग यूनिटों में नारियल से कई खाद्य पदार्थ, कॉस्मेटिक्स, नारियल का तेल और नारियल पानी की भी खूब मांग रहती है सिर्फ खान-पान के लिहाज से ही नहीं, इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी किया जाता है. और इससे बनी खाद का इस्तेमाल भी शहरी खेती और फल के बागों में बड़े पैमाने पर होता है. यही कारण है कि पारंपरिक फसलों के मुकाबले नारियल की खेती से किसान करीब 80 साल तक करोड़ों की आमदनी भी ले सकते हैं.
जलवायु और तापमान
नारियल का पौधा उष्ण और उपोष्ण जलवायु वाला होता है इसलिए खेती में हवा की सापेक्ष आद्रता वाली जलवायु की जरुरत होती है. इसे न्यूनतम 60% आद्रता वाली हवा की जरूरत होती है. गर्म मौसम में नारियल के फल अच्छी तरह से पक जाते हैं. नारियल के पेड़ो को अच्छे से विकास करने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है, इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री और न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते हैं.
भूमि का चयन
नारियल की फसल की खेती के लिए नमी युक्त अच्छी जल निकास क्षमता वाली मिट्टी उपयोग करना चाहिए. मिट्टी का पी.एच. 5.2 से 8.8 के बीच हो. नारियल के पेड़ की जड़े भूमि में अधिक गहराई तक पाई जाती हैं इसलिए काली और पथरीली मिट्टियों के अलावा चट्टान वाली मिट्टी में खेती नहीं करनी चाहिए. नारियल के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोतम मानी जाती है.
खेत की तैयारी
नारियल की खेती के लिए खेत को खरपतवार मुक्त करके चयनित जगह पर 7.5 x 7.5 मीटर (25 x 25 फीट) की दूरी पर 1 x 1 x 1 मीटर आकार के गड्ढे बनाना चाहिए. पहली बारिश होने तक गड्ढा खुला रखा जाता है जिसे 30 किलो गोबर की खाद और कम्पोस्ट के साथ ही सतही मिट्टी को मिलाकर इस तरह भर दिया जाता है कि ऊपर से 20 सें.मी. गड्ढा खाली रहे, शेष बची मिट्टी से पौधा लगाने के बाद गड्ढे के चारों ओर मेढ बना दिया जाता है ताकि गड्ढे में बारिश का पानी इकट्ठा न हो.
पौधे लगाने का सही समय और तरीका
नारियल के पौधों की रोपाई पौध के रूप में होती है. पौधों को जून के महीने में लगाना चाहिए लेकिन बारिश के मौसम में रोपाई नहीं करनी चाहिए, नारियल के पौधों की रोपाई खेत में तैयार गड्डो में होती है, यदि खेत में सफ़ेद चींटी का प्रकोप दिखे तो पौधों को रोपने से पहले उन्हें सेविडोल 8जी की 5 ग्राम की मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए. इसके बाद खेत में तैयार गड्डों में खुरपी से छोटा सा गड्डा बना लेते हैं, फिर गड्डो में पौधों की रोपाई करना चाहिए. फिर गड्डे से निकाली गई मिट्टी से पौधों को लगाने के बाद ऊपर से ढक देना चाहिए इसके पौधों की रोपाई जून से सितम्बर के बीच करनी चाहिए.
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सिंचाई
नारियल के पौधों की सिंचाई ड्रिप विधि से सबसे अच्छी और उपयुक्त होती है, क्योंकि इससे पौधे को उचित मात्रा में पानी मिलता है. जिससे पौधा अच्छे से विकास करता है और पैदावार में भी अच्छी होती है. गर्मी के मौसम में पौधे को 3 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए, जबकि सर्दी के मौसम में सप्ताह में एक सिंचाई काफी होती है.