भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है. यहां दुनियाभर के कुल चावल उत्पादन में से 20 प्रतिशत हमारे देश भारत में पैदा किया जाता है.
यही वजह है कि हर साल यहां 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर लगभग 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है, इसलिए चावल की खेती भारत में सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है.
किसानों के लिए धान की उन्नत किस्म (Improved variety of paddy for farmers)
हालांकि, इन सब के बावजूद भी भारत चावल उत्पादन क्षेत्र में वो कमाल नहीं कर पा रहा है, जो वो कर सकता है. ऐसे में ये आवश्यक है कि चावल की उत्पादकता बढ़ाने के लिये धान की उन्नत किस्म और कृषि तकनीक का ज्ञान किसानों को कराया जाए, इसलिए हम इस लेख में धान की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए एक ऐसी उन्नत किस्म के बारे में पूरी जानकारी लेकर आए हैं, जिसकी खेती कर किसान अधिक पैदावार पा सकते हैं. जी हां, हम धान की जया किस्म के बारे में बात कर रहे हैं.
जया धान की खेती की संपूर्ण जानकारी (Complete information about jaya paddy cultivation)
पहचान- यह कम ऊंचाई वाली उन्नत किस्म है. भारत के हर राज्य में इसकी खेती की जा सकती है. इसके दाने लंबे और सफेद होते हैं.
ऊंचाई- इसके पौधे की ऊंचाई 80-90 सेंटीमीटर तक होती है.
ये भी पढ़ें: Paddy Farming: धान की खेती करने से पहले एक बार जरूर पढ़ लें!
पैदावार- इसकी औसतन पैदावार 60 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. बता दें कि इस किस्म के पौधे छोटे आकार के होते हैं, जिनका तना मजबूत होता है. इस कारण फसल पकने पर पौधे के गिरने का डर भी कम होता है. यही वजह है कि इस किस्म के धान से पैदावार भी अधिक होती है.
रोपाई का समय- धान की इस किस्म के पौधे देरी से पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 135 से 145 दिनों बाद कटाई के लिए तैयार होते हैं. वहीं धान की जया किस्म की रोपाई 15 जून से 7 जुलाई के बीच में की जाती है. इसकी BLB, SB तथा RTB रोग प्रतिरोधी किस्म है.
धान की ऐसी ही और उन्नत किस्मों के बारे में जानने के लिए आप कृषि जागरण को पढ़ते रहें.