किसान अपनी आय और फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए नई-नई किस्में को अपने खेत में लगाते हैं, ताकि वह अपने खेत से अधिक लाभ कमा सकें. सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम करती रहती है. इसके अलावा कई वैज्ञानिक संस्था भी किसानों के साथ हमेशा खड़ी रहती हैं और फसलों पर नए अविष्कार करते रहते हैं, जिससे किसान अपनी फसल से अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें. इसी क्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) ने धन फसल की कुछ नई किस्में तैयार की है. वैज्ञानिकों का कहना है, कि धन की इन नई किस्मों से किसानों को दोगुना लाभ प्राप्त होगा.
धान की नई किस्में (new varieties of paddy)
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए तैयार किए गए नई धान की किस्में (Rice varieties) जो कुछ इस प्रकार है.
- ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेन्ट-1
- विक्रम टी.सी.आर
- छत्तीसगढ़ जवांफूल म्यूटेन्ट
- ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेन्ट
- ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाठी
यह सभी किस्में भाभा अटामिक रिसर्च सेंटर, ट्राम्बे-मुंबई के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural university) में तैयार की गई हैं. इसके अलावा उन्होंने परमाणु विकरण तकनीक का इस्तेमाल करके दुबराज, सफरी-17, विष्णुभोग, जवांफूल और सोनागाठी की नवीन म्यूटेन्ट की किस्में भी तैयार की गई हैं. साथ वैज्ञानिकों का यह भी कहना हैं कि बहुत जल्द धान की अन्य परंपरागत किस्में भी तैयार की जाएगी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़ में 300 परंपरागत किस्मों पर म्यूटेशन ब्रीडिंग का कार्य तेजी से चल रहा है. जिससे किसानों को कम समय में अच्छा लाभ हो सके.
धान की नई किस्मों की विशेषताएं
- इन किस्मों से किसानों को धान की अधिक फसल प्राप्त होगी.
- इन किस्मों में रोग और कीट लगने का प्रकोप बहुत कम होता है.
- इन किस्में की फसल की अवधि और ऊंचाई कम और उपज अधिक होती है.
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क्यों तैयार किए इन किस्मों के बीज
किसान धान की परंपरागत सुगंधित किस्मों को छोड़ अन्य फसलों को अपने खेतों में अधिक कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण धान की फसल (paddy crop) दीर्घ अवधि, अधिक ऊंचाई और बहुत कम उपज प्राप्त होना है.
किसानों की इन सभी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों के द्वारा इन नई किस्मों को तैयार किया गया है.