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Updated on: 14 December, 2020 2:51 PM IST
Coconut Farming

मध्य प्रदेश के जबलपुर के लम्हेटाघाट के एक किसान ने नारियल की खेती करके सबको हैरान कर दिया है. दरअसल, आमतौर पर नारियल की खेती दक्षिण भारत की जलवायु में होती है. लेकिन प्रोग्रेसिव फार्मर अनिल पचैरी जबलपुर में नर्मदा किनारे नारियल की खेती मालामाल हो गए हैं. तो आइए जानते हैं अनिल की सफलता की कहानी.

केरल में नारियल किसानों के बीच रहे

अनिल ने नारियल की खेती करने के गुर सीखने के लिए दक्षिण भारत का रूख किया. उन्होंने हैदराबाद और केरल में रहकर यहां के नारियल किसानों से इसकी खेती की बारीकियां सीखी. इसके बाद उन्होंने अपने क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिकों को नर्मदा किनारे की मिट्टी के परीक्षण के लिए भिजवाई और उनकी देखरेख में 3 साल पहले नारियल के पौधे लगाए जिनमें आज फल आने लगे हैं.

ग्रीन बेल्ट को बचाने की भी कवायद         

उन्होंने बताया कि नर्मदा किनारे के ग्रीन बेल्ट को बचाने के लिए उन्होंने नारियल की खेती शुरू की. दरअसल, लोग नदी के किनारे की जमीन बेच देते हैं जिन पर रिसोर्ट और फार्म हाउस के साथ-साथ टाउनशिप तक काटी जा रही है. कॉलोनी के काटने के बाद यहां बड़ी आबादी बस जाती और फिर नदी को गंदा करने में कसर नहीं छोड़ी जाती है. अनिल का कहना है कि इसलिए उन्होंने नारियल की खेती शुरू की ताकि क्षेत्र के अन्य किसान भी उनसे प्रेरित हो और ग्रीन बेल्ट की जगह में नारियल खेती करे जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलें.

10 एकड़ में खेती, 1 करोड़ का टर्नओवर

अनिल ने बताया कि उन्होंने अपनी 10 एकड़ की जमीन में तीन साल पहले नारियल के 2 हजार पौधे लगाए थे. जो इस साल फल देने लगे हैं. उन्होंने नारियल के पौधे 15-15 फीट की दूरी पर लगाए थे जिनके बीच वह अन्य फसल लेते हैं. जिससे उन्हें अतिरिक्त मुनाफा मिलता है. उन्होंने बताया कि नारियल के पेड़ 12 महीने ही फल देते हैं. कच्चा नारियल बाजार में 15 से 20 रूपए नग तक थोक भाव में बिक जाता है. उनका लक्ष्य इस साल एक करोड़ के टर्न ओवर का है. 

English Summary: 1 crore turnover in coconut farming in jabalpur madhya pradesh
Published on: 14 December 2020, 02:58 PM IST

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