Dairy Scheme 2025: डेयरी व्यवसाय के लिए ₹42 लाख तक के लोन पर पाएं 33% तक सब्सिडी, जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया बाढ़ से फसल नुकसान पर किसानों को मिलेगा ₹22,500 प्रति हेक्टेयर तक मुआवजा, 5 सितंबर 2025 तक करें आवेदन Weather Update: दिल्ली-NCR, यूपी, बिहार, एमपी और हिमाचल में भारी बारिश का अलर्ट, जानिए अपने जिले का हाल किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 31 January, 2023 12:00 AM IST
बजट 2023

भले ही भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक अपेक्षाकृत उज्ज्वल स्थान पर है, लेकिन पश्चिम में इसके अधिकांश बड़े व्यापारिक साझेदार और चीन गहरी मंदी के दौर से गुज़र रहे हैं और कुछ मामलों में मंदी के लिए तैयार हमें भी होना है.

वित्त मंत्री जी का जनलुभावन बजट पेश करना और भी जटिल हो सकता है क्योंकि इस साल शीत ऋतु में एक बार भी बारिश नहीं होने के कारण कुछ हिस्सों में कृषक वर्ग परेशान हैं हांलाकि प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष रबी फसलों का रकवा पिछले सालों के रकवे से 3% अधिक होने के कारण बम्पर उत्पादन होने के कयास लगाये जा रहे हैं. परन्तु मौसम परिवर्तन से नुकसान को भी किसान समझ रहे हैं.

साल 2022-23 में भी जलवायु परिस्थितियों के कारण चावल और गेहूं की फसलों को काफी नुकसान हुआ था. अत: इस साल के सलाना बजट से हमें कृषि क्षेत्रों के लिए बहुत उम्मीद है.

आर्थिक दृष्टिकोण से वर्ष 2023-24  के अत्यधिक अनिश्चित रहने की संभावना है.

जलवायु परिवर्तन, गेहूं और खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में भारी वृद्धि, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने इसे और भी जटिल बना दिया है. कई विकसित देशों की अर्थव्यवस्था मंदी की प्रवृत्ति का सामना कर रही है. अनिश्चितता के इस परिदृश्य में भारतीय निर्यात पर भारी असर दिख रहा है. इसलिए मेरा मानना ​​है कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री जी को कृषि के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे

2022-23 के बजट में, पीएम किसान योजना के लिए 65,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि पीएम फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लिए प्रीमियम सब्सिडी 16,000 करोड़ रुपये प्रदान की गई थी. अल्पावधि ऋणों पर ब्याज अनुदान के लिए 19,468.31 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. 2023-24 के बजट में इन योजनाओं के आवंटन में किसी कटौती की संभावना मुझे दिखाई नही दे रही है.

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 के पीछे एक उद्देश्य एपीएमसी के बाहर कृषि उपज में व्यापार को सुविधाजनक और प्रोत्साहित करना था परंतु किन्ही वजहों से कानून को निरस्त कर दिया गया. उम्मीद है कि 2023-24 के केंद्रीय बजट में अति आवश्यक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एपीएमसी को अनुदान देने की योजना की घोषणा की जाएगी.

मत्स्य पालन, मांस और पोल्ट्री के लिए, अधिकांश मंडियों में जहां उनका व्यापार होता है, बुनियादी सुविधाएं को दुरूस्त करने की आवश्यकता हैं.  गेहूं, धान और गन्ना के साथ मत्स्य क्षेत्र  पर अधिक ध्यान देने के जरूरत है  क्योंकि यह न केवल 28 मिलियन लोगों को आजीविका प्रदान करती है बल्की यहाँ ज्यादातर कमजोर समुदायों से किसान आते हैं.

मांस एक और अत्यधिक उपेक्षित क्षेत्र है और ऐसा देखा गया है कि किसानों द्वारा अपने पशुओं की बिक्री से प्राप्त आय में गिरावट आई है. अतः हम उम्मीद करते हैं कि हमारी वित्त मंत्री इन स्थितियों पर ध्यान देंगी और संभवतः इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा अतिरिक्त फंड आवंटित करने पर विचार कर सकती हैं.

जलवायु परिवर्तन के कारण हमें ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग और जल प्रबंधन तकनीक पर अधिक ध्यान देना होगा, हम मानते हैं कि आने वाले बजट में सरकार इस पर अधिक ध्यान दे सकती है और कम वर्षा वाले क्षेत्र को कवर करने के लिए अतिरिक्त धन आवंटित कर सकती है.

सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र की विस्तार सेवाओं ने उत्पादन प्रणालियों में प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पीपीएस, उद्यमशीलता, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर उन्हें और मजबूत करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः मध्यम वर्ग के दबाव को समझती हूं, बजट 2023 में नहीं लगेगा कोई नया टैक्स: निर्मला सीतारमण

बाजार एकीकरण, आईसीटी एप्लिकेशन, प्रिंट मीडिया बैक अप, ग्रामीण युवाओं के लिए प्रशिक्षण और व्यवसाय के अवसर, एफओ और एफपीसी की अधिक संख्या को बढ़ावा देना, आदि को शामिल करने की संभावना है इसके लिए केंद्रीय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से विस्तार सेवाओं के लिए बजटीय सहायता में वृद्धि की आवश्यकता है. मेरे विचार से इस वर्ष चुनावी वर्ष होने के कारण वे कृषि क्षेत्र को अधिक महत्व दे सकते हैं जैसा कि हम पिछले कुछ वर्षों से देख रहे हैं.

लेखक
डॉ. पी. के. पंत
सीओओ, कृषि जागरण

English Summary: expectation from budget 2023
Published on: 31 January 2023, 05:57 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now