Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 16 May, 2020 12:00 AM IST

प्रयास इस बात का होना चाहिए कि हमारे किसानों को अंतरराष्ट्रीय मूल्यावस्था का लाभ मिले और उनकी आय में वृद्धि हो.हमारे किसान अब अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर माल भेज सकें एवं अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर कच्चा माल खरीदें.यह एक बहुत दूर की सोच है. वर्तमान में जरूरत है कि किसानों को  संबल प्रदान करने की व असिंचित क्षेत्रों एवं अल्प शिक्षित क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इतने वर्षा के बावजूद भी अभी भी खेती सिंचित पर आधारित है इसके लिए प्रयास होने चाहिए कि हम बूंद बूंद सिंचाई पद्धति पर ध्यान दें और वह अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाएं जिससे लघु एवं सीमांत किसान भी लाभान्वित हो सके इस बार मानसून की कृपा से किसानों उत्पादन में काफी सहारा मिला है जिससे भारतीय कृषि के लिए सुखदायक और लाभदायक माना जा सकता है

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा क्या जा रहा कृषि अनुसंधान शिक्षा और प्रसार का कार्य नई ऊंचाइयों पर दिखाई दे रहा है साथ ही परिषद ने उन तमाम प्रयासों को गद्दी है जिनसे कृषि अनुसंधान और किसानों के बीच रिश्ता मजबूत हो सके इसके लिए हमारे कृषि मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयासों से भारतीय कृषि में कई बदलाव किए जा रहे हैं इसके लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने किसान हित में कई निर्णय लेकर कृषि को एक नई दिशा देने का कार्य किया जिससे देश में सदाबहार क्रांति को लाया जा सके.

देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने उन तमाम प्रयासों को गति दी जिनसे किसान दूर था. संस्थान और किसानों के बीच रिश्ता मजबूत होता दिखाई दे रहा है. देश के कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या बढ़कर 675 हो गई है और लगभग  सभी कृषि विज्ञान केंद्रों को आधुनिक संचार सुविधाओं से जोड़ दिया गया है ताकि किसानों तक सूचनाएं तुरंत और कुशलता पूर्वक पहुंचाई जा सके. इसके साथ ही अधिकतर कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मोबाइल सलाहकार सेवा प्रारंभ की गई है, जिसमें किसानों के मोबाइल फोन पर मौसम बाजार तथा कृषि क्रियाओं संबंधी नवीनतम जानकारी को पहुंचाया जा रहा है. दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी नई पहल की गई है. इसके माध्यम से किसानों को खेतों पर अधिक से अधिक प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे किसानों को देख कर नई तकनीकों से रूबरू हो और उसको अपने खेतों पर अपनाएं जिससे देश के दलहन उत्पादन को बढ़ाया जा सके.परिषद का प्रयास है देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त गुणवत्ता युक्त और अधिक उपज देने वाली किस्में विकसित कर किसानों तक पहुंचाई जाए. इस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए परिषद ने विभिन्न सुधरी हुई किस्में को किसानों को बोने के लिए जारी की है. 

भारतीय कृषि और खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के मंडराते खतरों को देखते हुए परिषद द्वारा नेटवर्क मोड में व्यापक पर योजनाएं लागू की गई है जिसके तहत इस आपदा से निपटने के लिए कृषि अनुसंधान प्रणाली को मजबूत बनाया जाएगा पशु उत्पादन के क्षेत्र में देश में पहली बार ऊंट और मिथुन में कृत्रिम गर्भाधान को सफल बनाया गया है इसके उपरांत जो नस्ल सुधार का कार होगा उसका लाभ देश को मिलेगा.

इसी प्रकार परिषद द्वारा केंद्रीय डाटा केंद्र का विकास किया गया है ताकि ज्ञान की साझेदारी आसान और सुलभ हो सके इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए कृषि शिक्षा को उन्नत बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं छात्रों में उद्यमिता के विकास के लिए इकाइयां विकसित की जा रही हैं कुल मिलाकर प्रयास यह है कि देश में सतत खाद सुरक्षा बनी रहे और देश एक सदाबहार प्रांत की ओर अग्रसर हो सके.

वर्तमान में चल रही कोरोना ऐसी महामारी के कारण जहां देश की अर्थव्यवस्था पर संकट खड़ा हुआ है वहीं इससे किसी भी अछूती नहीं है क्योंकि किसानों के उत्पाद को बेचने में दिक्कत आ रही है. जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है उनके द्वारा उत्पादन किए गए फल फूल तथा साग सब्जी जिसको भंडारित नहीं किया जा सकता उसको बेचने में कठिनाई आने के कारण किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. ऐसी दशा में एक नई कृषि  नीति को बनाना होगा. जिससे किसानों को हो रहे नुकसान से  बचाया जा सके.

English Summary: Country needs evergreen revolution
Published on: 16 May 2020, 02:47 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now