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Updated on: 28 September, 2023 12:00 AM IST
khaja

बिहार कई मायनों में समृद्ध रहा है. बिहार की भूमि ऐतिहासिक, साहित्यिक और धार्मिक तो शुरु से ही रही है. उसके अलावा बिहार में विविध प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी काफी मशहूर है, जिसमें सिलाव का खाजा भी शामिल है. नालंदा जिला के मुख्यालय बिहार  शरीफ से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर सिलाव एक जगह है, जहां का खाजा काफी लोकप्रिय है. इस व्यंजन की वजह से बिहार को एक नई पहचान मिली है. बिहार के सिलाव के 52 परतों वाले खाजा को GI टैग भी मिला हुआ है, जिसकी वजह से ग्लोबल मार्केट में भी इसकी पहचान बन चुकी है.

इस खाजा का डिमांड विदेशों से भी होती हैं. खाजा को पहले खजूरी के नाम से भी जाना जाता है. आईये जानते हैं बिहार के सिलाव के 52 परतों वाले व्यंजन खाजा के बारे में-

सिलाव के खाजे का इतिहास 200 साल से भी ज्यादा पूराना

सिलाव के खाजे का इतिहास काफी पूराना है. वहां कई ऐसे दुकानदार है जो पीढ़ी दर पीढ़ी खाजा बनाने का ही काम करते आए हैं. कुछ दुकानदार कहते हैं कि उनके यहां करीब 200 साल से पीढ़ी दर पीढ़ी खाजे की दुकान चल रही है.

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नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचार्य ने गौतम बुद्ध को भेंट किया था खाजा

स्थानीय लोगों की बीच एक दंत कथा ये भी प्रचलित हैं कि इस खाजे का इतिहास भगवान गौतम बुद्ध के समय से भी पहले से है. कुछ लोग बताते हैं कि नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचार्य शीलभद्र ने भगवान गौतम बुद्ध को सिलाव का खाजा भेंट किया था. उस वक्त भगवान बुद्ध ने पूछा ये क्या है ? कौन सी मिठाई है तो शीलभद्र ने बताय़ा खा- जा... इस मिठाई को खाने के बाद गौतम बुद्ध ने काफी प्रशंसा की. साथ ही प्राचार्य ने सिलाव को खाजा नगरी की उपाधि दी.

भारत के  राष्ट्रपति से लेकर बड़े- बड़े सेलिब्रेटियों ने की है खाजा की तारीफ

सिलाव का खाजा सिर्फ आम लोगों या स्थानीय लोगों तक ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि देश के पूर्व राष्ट्रपति  ए.पी,जे अब्दुल कलाम, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल,रामनाथ कोविंद, बाबा रामदेव, हेमा मालिनी, पंकज उदास, मुकेश खन्ना बाकि अन्य अभिनेताओं और नेताओं ने भी खाजा का स्वाद चखा है. साथ ही इसके स्वाद की खूब तारीफ भी की है.

English Summary: bihar khaja Identity of Bihar, this 52 layered sweet has 200 years old history
Published on: 28 September 2023, 05:55 IST

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