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Updated on: 17 January, 2020 6:27 PM IST

भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर अलग-अलग सीजन में अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है. यहां पर प्रमुख रूप से तीन सीज़न में खेती की जाती है, जिनमें रबी, खरीफ़ और जायद शमिल होती हैं. जायद की फसलों को ध्यान में रखते हुए आज राष्ट्रीय कृषि विज्ञान भवन में एक सेमिनार रखा गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किया. इसके अलावा कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला भी मौजूद रहे.

इस कार्यक्रम में जायद फसलों को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई. इसके अलावा जिलेवार योजना, जायद या  ग्रीष्मकालीन फसल, जायद की फसलों के लिए सिंचाई, उनकी क्षमता, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, फसलों की सुरक्षा के लिए रणनीतियाँ, आवारा पशु, उत्पादन बढ़ाने पर चर्चा हुई.

आपको बता दें जायद की फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं. इन फसलों को उत्तर भारत में मार्च से अप्रैल तक बोई जाती हैं. इन फसलों को प्रचुर धूप के साथ लंबे दिनों और शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है. इन्हें अंकुरण के लिए 23 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की ज़रूरत पड़ती है, तो वहीं फलों के विकास के लिए तापमान काफी अधिक होना चाहिए. जायद की फसलों में मूंग, उर्द, चना, सूरजमुखी, मक्का, धान, हरा चारा,  साग-सब्जी, फल और हरी खाद की फसलें ली जाती हैं. 

English Summary: union agriculture minister joins zayed agriculture conference in national krishi vigyan bhawan
Published on: 17 January 2020, 06:29 PM IST

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