Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 21 September, 2019 7:05 PM IST

देश के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने चने की दो उन्नत किस्मों को विकसित किया है. बता दें कि आईसीएआर के अनुसार यह किस्में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित अन्य छह राज्यों में खेती के लिए काफी उपयुक्त है. आईसीएआर और कर्नाटक के रायचुर में स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रॉपिक्स के साथ मिल कर जिनोम हस्तक्षेप के माध्यम से पूसा चिकपी - और सुपर एन्नीगिरी -किस्म के चने के बीज विकसित किए जाते है. चने की इन किस्मों को आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के किसान इसकी बुआई कर सकते है.

गुजरात और यूपी के बुंदेलखंड

यहां के एक अधिकारी ने कहा कि पूसा चिकपी- 10216 सूखे क्षेत्रों में काफी बेहतर उपज देती है. इसकी औसतन पैदावार 1,477 किलो प्रति हेक्टेयर होती है. देश के मध्य के इलाकों में नमी की उपलब्धता की कमी की स्थिति में यह पूसा -372 की तुलना में 11.9 फीसदी अधिक पैदावार हो रही है. यह 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके 100 बीजों का वजन लगभग 22.2 ग्राम तक होता है. बता दें कि इस नई किस्म में फुसरैरियम, सूखी जड़, सड़न और स्टंट रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी क्षमता होती है. इसकी खेती को गुजरात, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई तरह के बुंदेलखंड के इलाके के लिए उपयुक्त माना जाता है.

आंध्र प्रदेश के लिए भी उपयुक्त

चने की दूसरी नई किस्म सुपर एन्नीगेरी-1, को आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में जारी करने के लिए उपयुक्त पाया गया है. भारत ने दलहन उत्पादन में काफी देर में  आत्मनिर्भरता को हासिल किया है. यहां पर सरकार की पहल के कारण दालों का उत्पादन, जुलाई में समाप्त हुए फसल वर्ष 2018-19 के दौरान 232.2 लाख टन होने का अनुमान है.

English Summary: Two new varieties of gram evolved, farmers will benefit
Published on: 21 September 2019, 07:08 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now