इन दिनों देश के कपास बाजार में काफी ज्यादा तेजी छाई हुई है. कपास के कम उत्पादन के चलते कपास बाजार में काफी ज्यादा हलचल मची हुई है. इसीलिए इस बार इस कमी को पूरा करने के लिए कॉटन के आयात को दुगना करना बेहद ही जरूरी है. इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी निम्न स्तर की कॉटन होती है. फिर भी भारत को दोयम दर्ज के कॉटन का आयात करना होगा. भारत इस साल पिछले साल के मुकाबले इस बार दुगनी रूई को आयात कर सकता है. जबकि देश से रूई के निर्यात में भारी कमी आ सकती है.
भारतीय कपास संघ ने वर्ष 2018-19 कपास के सत्र के लिए अपने ताजापूर्वानुमान में 315 लाख गांठ कपास के उत्पादन के अनुमान को बरकरार रखा है. पिछले कपास के सीजन में कुल उत्पादन 365 लाख गांठ का हुआ था. बता दें कि कपास की खेती का समय अक्टूबर से सिंतबर तक ही होता है. इस बार मई 2019 के अंतिम समय तक स्टॉक 92 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है. जिसमें कपड़ा मिलों के साथ 32.68 लाख गांठों का स्टॉक होगा और शेष 39.32 लख गांठे भारतीय कपास निगम, बहुराष्रट्रीय कंपनियों और अन्य के पास होने का अनुमान लगाया गया है.
आने वाले समय में कीमते बढ़ेगी
देश में कॉटन का उत्पादन कम हो रहा है. इसके अलावा अंतराष्र्ट्रीय मार्केट में घटिया क्वालिटी की कॉटन है. अगर इस बार भी मानसून 8 या 10 दिन की देरी से आ रहा है तो इसका सीधा असर कॉटन के उत्पादन पर पड़ना लाजिमी है. क्योंकि भारत में सितंबर और अक्टूबर के लिए कॉटन नहीं है. कॉटन की कमी इसके दामों में आग लगा सकती है.
रूई का आयात दुगना, निर्यात में कमी आने की संभावना
चालू रूई का उत्पादन और विपण्न वर्ष 2018-19 के दौरान भारत 31 लाख गांठ रूई का आयात कर सकता है. जबकि पिछले साल देश में रूई का आयात तकरीबन 15 लाख गांठ हुआ था. निर्यात की बात करें तो देश से निर्यात इस सीजन में 46 लाख गांठ हो सकता है. जबकि पिछले सीजन में भारत ने 69 लाख गाठ रूई का निर्यात किया था.इस बार 14 फीसद कम कपास उत्पादन होने की संभावना जताई गई है.