Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 7 June, 2019 4:04 PM IST

इन दिनों देश के कपास बाजार में काफी ज्यादा तेजी छाई हुई है. कपास के कम उत्पादन के चलते कपास बाजार में काफी ज्यादा हलचल मची हुई है. इसीलिए इस बार इस कमी को पूरा करने के लिए कॉटन के आयात को दुगना करना बेहद ही जरूरी है. इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी निम्न स्तर की कॉटन होती है. फिर भी भारत को दोयम दर्ज के कॉटन का आयात करना होगा. भारत इस साल पिछले साल के मुकाबले इस बार दुगनी रूई को आयात कर सकता है. जबकि देश से रूई के निर्यात में भारी कमी आ सकती है.

भारतीय कपास संघ ने वर्ष 2018-19 कपास के सत्र के लिए अपने ताजापूर्वानुमान में 315 लाख गांठ कपास के उत्पादन के अनुमान को बरकरार रखा है. पिछले कपास के सीजन में कुल उत्पादन 365 लाख गांठ का हुआ था. बता दें कि कपास की खेती का समय अक्टूबर से सिंतबर तक ही होता है. इस बार मई 2019 के अंतिम समय तक स्टॉक 92 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है. जिसमें कपड़ा मिलों के साथ 32.68 लाख गांठों  का स्टॉक होगा और शेष 39.32 लख गांठे भारतीय कपास निगम, बहुराष्रट्रीय कंपनियों और अन्य के पास होने का अनुमान लगाया गया है.

आने वाले समय में कीमते बढ़ेगी

देश में कॉटन का उत्पादन कम हो रहा है. इसके अलावा अंतराष्र्ट्रीय मार्केट में घटिया क्वालिटी की कॉटन है. अगर इस बार भी मानसून 8 या 10 दिन की देरी से आ रहा है तो इसका सीधा असर कॉटन के उत्पादन पर पड़ना लाजिमी है. क्योंकि भारत में सितंबर और अक्टूबर के लिए कॉटन नहीं है. कॉटन की कमी इसके दामों में आग लगा सकती है.

रूई का आयात दुगना, निर्यात में कमी आने की संभावना

चालू रूई का उत्पादन और विपण्न वर्ष 2018-19 के दौरान भारत 31 लाख गांठ रूई का आयात कर सकता है. जबकि पिछले साल देश में रूई का आयात तकरीबन 15 लाख गांठ हुआ था. निर्यात की बात करें तो देश से निर्यात इस सीजन में 46 लाख गांठ हो सकता है. जबकि पिछले सीजन में भारत ने 69 लाख गाठ रूई का निर्यात किया था.इस बार 14 फीसद कम कपास उत्पादन होने की संभावना जताई गई है.

English Summary: This time the production of cotton is decreasing
Published on: 07 June 2019, 04:06 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now