हर तरफ महंगाई अपने पैर फैला रही है. गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अगर बात की जाए, तो इसमें किसी तरह की कोई गिरावट होने की अभी संभावना दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में यह अंदाज़ा भी लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में गेहूं की बढ़ती कीमतों से फिलहाल कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है.
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं का भाव 3,000 रुपए प्रति क्विंटल तक भी पहुंच सकता है. वहीं, अलग-अलग स्टॉक ट्रेड मार्केट जैसे सीबीओटी (Chicago Board of Trade) पर भी गेहूं की कीमतों में जबरदस्त उछाल की सम्भावना देखी जा रही है. वहीँ एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह अंदाज़ा लगाया गया है कि मौजूदा वक्त में गेहूं की कटाई हो रही है, जिसको लेकर गेहूं के कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कीमतों में आई गिरावट सीमित रहेगी. वहीँ गेहूं के भाव में भी 2,015-2,020 रुपए प्रति क्विंटल नीचे लुढ़कने की गुंजाइश कम है.
कटाई के बाद गेहूं की कीमतों में आया ठहराव
बता दें कि मार्च के पूरे महीने के शुरूआती दौर में गेहूं का भाव 2,250-2,420 रुपए का कारोबार में बदलाव आता नजर आया है. जिस वजह से दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई पर खासा असर पड़ा है. ग्लोबल लेवल पर गेहूं का सप्लाई प्रभावित होने से मार्च के पहले पखवाड़े में भारत से गेहूं एक्सपोर्ट आउटलुक के चलते कीमतों में अच्छी तेजी दर्ज की गई थी.
गेहूं के सरकारी खरीद का लक्ष्य
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022-23 के लिए गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य 44.4 मिलियन मीट्रिक टन रखा गया है, जो कि सालाना आधार पर अगर देखा जाए, तो 2.4 फीसदी अधिक है. अगर यह लक्ष्य भारत द्वारा पूरा हो जाता है, तो इतिहास में गेहूं के खरीदी को रिकॉर्ड खरीद के रूप में दर्ज किया जाएगा. वहीँ, दूसरी तरफ निर्यात मांग बढ़ने की वजह से गेहूं का भाव एमएसपी के ऊपर चल रहा है. ऐसे में हमें उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकारी खरीद लक्ष्य 85 फीसदी तक पहुंच जाएगी. वहीँ किसानों के लिए एक अहम जानकारी आपको बता दें कि गेहूं की सरकारी खरीद 1 अप्रैल 2022 से शुरू हो चुकी है.
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कितना हो रहा है गेहूं का उत्पादन
पिछले साल 2021 की अगर बात की जाए, तो 109.5 मिलियन मीट्रिक टन की तुलना में गेहूं का उत्पादन 111 से 112 मिलियन मीट्रिक टन के बीच रहने का अनुमान है.
वहीं फसल वर्ष 2022-23 के लिए भारत से गेहूं का निर्यात सालाना आधार पर 67 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 12.5 मिलियन मीट्रिक टन रहने का अनुमान है.